कुछ तो होगा
कुछ तो होगा
अगर मैं बोलूंगा
न टूटे, न टूटे तिलस्म सत्ता का!
मेरे अंदर का एक कायर टूटेगा-
पड़ गई इसकी भनक थी ठाकुरों के कान में
वे इकट्ठे हो गए थे सरचंप के दालान में
दृष्टि जिसकी है जमी भाले की लम्बी नोक पर
देखिए सुखराज सिंग बोले हैं खैनी ठोंक कर
"क्या कहें सरपंच भाई क्या ज़माना आ गया
कल तलक जो पाँव के नीचे था रुतबा पा गया
कहती है सरकार कि आपस में मिलजुल कर रहो
सुअर के बच्चों को अब कोरी नहीं हरिजन कहो"-
"बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ"
बहुत वाच लिया, रुक जाओ।
पढ़कर क्या मैं गढ़ जाऊं
मैं बचकर जाऊं कहां बोलो।
ना जानवरों की भेंट चढ़ूं
बेहतर है कोख में मर जाऊं।
मैं तो सीखकर जन्मीं 'मर्यादा'
मुझे इन बातों का ज्ञान न दो।
बेटी को नहीं बेटों को सिखाओ
सुनो ! "बेटों को इंसान बनाओ"।
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बाद में लड़ लेना आतंकवादियों से;
पहले देश के भीतर के दरिंदों में थोड़ा खौफ जगाओ!
'राफेल' लाकर देश में बड़ी वाह वाई कमाली;
अब इन हवसी जानवरों को भरे बाज़ार ज़िंदा जलाओ!
😠😠😠😠😔😔😠😠😠😠-
बेरुखी भले होये लाखो।
पर न झूठ का नाम लो।।
सच का दामन थाम लो....
माना आपसी मतभेद है।
जिसका हमें भी खेद है।।
लेकिन विरोध के वास्ते।
चालाकियों से न काम लो।।
सच का दामन थाम लो....-
बोलते हैं बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ
क्या करेगी बेटी पढ़कर जब बेटी ही सुरक्षित नहीं
न करो ये झूठे वादे
ना लगाओ यह झूठे नारे-
सत्ता में सब हिजड़े हैं,यहां जाति वाद भी ज़िंदा हैं
मनीषा हम शर्मिन्दा है,तेरे क़ातिल अभी ज़िंदा हैं
बन कर भक्षक टूट पड़े मासूम सी एक जान पर
फिर डाका डाला है इंसानियत के अभिमान पर
दर्द नहीं उनके दिल जिनकी कोई औलाद नहीं
कुर्सी पर बैठने वालों क्या निर्भया तुम्हें याद नहीं
फिर एक हुंकार उठेगी सत्ता के गलियारों से
रूह कांप उठेगी तेरी जनता के इन नारों से
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ नारा झूठा लगता है
हर गली कूचों में दरिंदा घात लगाए फिरता है
हालात रहे गर यही तलवार उठेगी फिर फैजल
नेजों पर फिर सर होंगे लाश गिरेगी फिर फैजल-
एक बार फिर साबित कर दिया,
इंसानियत मर चुकी है लोगो में,
इस देश में बेटियां आज भी सुरक्षित नहीं है,
उस मासूम की चीखे किसी को नहीं दे रही,
हैवानों ने नोच कर मार डाला उसे,
कुचल डाली इंसानियत उन दरिंदो ने,
कहां गए वो लोग जो बड़ा बलशाली बनते है ।
देश के चौकीदार कहते है खुद को ,
कहां गए वो बड़ी बड़ी फेकने बले देश के रक्षक,
आतंकवादियो से बाद में बाचाना पहले
अपने ही देश के दरिंदो से तो बचा लो,,
मीडिया ,नेता ,सरकार कहां है अब,
संसद में तो बड़ा चीखते चिल्लाते हो,
अब करो तोड़ फोड़ जगाओ देश को,
अपनी बेटियों की तो बहुत फिकर है ,
देश की बेटी को इंसाफ दिलाओ,,,
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