आशिक़ी ने नहीं बेखुदी ने मुझसे छीना मुझे
त'आरुफ़ में दिया जाएगा नाम कमीना मुझे
तकल्लुफ़ क्यूँ करनी यूँ त'अल्लुक़ बढ़ाने में
बेसब्री बढ़ती जाएगी जो चाहोगे जीना मुझे
दिल मयकदा है मेरा और साकी हर ख़याल
ख़ुद को संभाल सको, बस उतना पीना मुझे
ऐब मुझमें हज़ारों, खुलेंगे कई असरार इनके
बना तो कभी अपनी अंगूठी का नगीना मुझे
आग़ोश में मेंरे होश तुझे होगा नहीं कसम से
सुध आने पर छोड़ जाती है हर हसीना मुझे
हाँ! यूँ तो तुम्हें तलाशेंगे 'बवाल' मिरे चार-सू
हो कि तू मिले और मिल जाये सकीना मुझे
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