मै तिरंगा मेरी कहानी
आपने सुनी होगी सबकी जुबानी,
आज सुनानी तिरंगे की कहानी
चंद छंदो मे मेरी जुबानी,
रंग केसरिया सिर्फ वीरों की वीरता प्रतीक ही नही
बल्कि माँ,बहनों,पत्नियों,बच्चों के खुशियों
के बलिदान का है प्रतीक,
रंग सादा है सदा ही सादगी का प्रतीक ही नही बल्कि
माँ के दूध का कर्जऔर धरती माँ की रक्षा
करने का फर्ज अदा करने का है प्रतीक
रंग हरा हरियाली का प्रतीक ही नही बल्कि
एक प्रण है कि हर घर रहे सदा ही खुशियो से हरा-भरा
है चक्र यू ही नही तिरंगे पर नही बना पड़ा ,
चक्र बता रहा चौबीस घंटे देश की सीमा पर
देश का प्रहरी,देश की रक्षा की खातिर,
करके सीना चौड़ा और बड़ा है सदा से ही अडिग है खड़ा
आज स्वतंत्रता दिवस हर भारतवासी
तिरंगे के सामने है नतमस्तक है खड़ा ।
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