QUOTES ON #स्वास्थ्य_ही_धन_है

#स्वास्थ्य_ही_धन_है quotes

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23 OCT 2018 AT 22:15

"स्वास्थ्य ही धन है!"

काश!
लोग समझ पाते !

लेकिन नहीं !!
सब निन्यानबे के चक्कर में पड़े हुए हैं!
शरीर से बेपरवाह हो ,,,,,,,

केवल हाय-हाय कर रहे ;
कि कब करोड़पति बन जाए!!!!!!!

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1 JUL 2020 AT 15:00

स्वस्थस्य स्वास्थ्यरक्षणं ।।
आतुरस्यविकारप्रशमनं च ।।

आयुर्वेद के दो उद्देश्य हैं :
(1)स्वस्थ व्यक्तियों के स्वास्थ्य की रक्षा करना,

(2) रोगी (आतुर) व्यक्तियों के विकारों को दूर कर उन्हें स्वस्थ बनाना।
HAPPY DOCTOR'S DAY👨‍⚕️👩‍⚕️

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28 MAY 2021 AT 11:43

सर्वे भवन्तु सुखिन:
सर्वे संतु निरामया

इस कठिन समय में आप और आपका परिवार स्वास्थ्य रहे भगवान से यही प्रार्थना करते हैं 💐🙏🏻

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5 JUL 2021 AT 13:18

आप सभी वैक्सीन लगवाओ,
कोरोना को दूर भगाओ,,
खुद को बचाओ परिवार वालो को भी बचाओ,
तुम सब वैक्सीन जरूर लगवाओ।

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19 MAR 2021 AT 8:42

अपने शरीर कौ मजबूत बनाये ,
अपने स्वास्थ्य कौ ऐसा वनाये की कौई बीमारी पकड़ ना पाये ,
अच्छी चीज़ का सेवन करे ,
सब्जी , फल ,दुध का सेवन से अपने त्वचा कौ खुबसूरत वनाये,,,,,,

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5 JUN 2021 AT 9:09

स्वस्थ मानव

दुनिया ने देखा है वह समय जब
स्वास्थ्य ही धन था।

मेहनत ज्यादा करता था मानव
काम को आसान करने का संसाधन कम था।

लोग रहते थे रिश्ते नाते और खातिरदारी में उलझे
अपनों की सेवा ही धर्म था।

आधुनिकता के नए दौर ने तोड़ा है
प्रकृति के नियमों को जो मानव हित का मरहम था।

आयु हो गई है क्षिण मानव की
स्वास्थ्य जीवन हुआ दूर्भर जो मानव के सर्वशक्तिमान होने का दर्पण था।

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23 APR 2020 AT 10:58

सीख ले अपनी गलती से अगर
समझ ले; है स्वास्थ्य ही धन,
कर ले गहन अध्ययन यदि नींद का
हो जाये सभी का जीवन मधुवन।

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31 AUG 2021 AT 21:56

जब आप अपना स्वास्थ्य खो देते हैं, तो आप सब कुछ खो देते हैं।

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8 AUG 2020 AT 22:11

आदिवासी हिन्दू हैं या हिन्दू नहीं हैं..??
क्या फर्क पड़ता हैं..?
हम क्यों ऐसी फालतू की बहस करते हैं..?
बहस तो इस बात पर होनी चाहिए....
सबको शिक्षा मिली हैं या नहीं....
सबकों स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त है...
सबकों रोजगार मिला है या नहीं....
हमारे किसान क्यों आत्महत्या कर रहें....
क्या समाज में समानता और न्याय हैं....
भ्रष्टाचार और बलात्कार कम हुए या नही....?

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17 JUN 2020 AT 12:31

मूलधन. .. . .

मानव जीवन
का मूलधन
है
उसका
अच्छा स्वास्थ्य।
तंदुरुस्ती से बढ़कर
कुछ भी
नहीं।
२००/३६६

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