REETA LAKRA   (Reeta Pratibha)
74 Followers · 43 Following

read more
Joined 16 March 2019


read more
Joined 16 March 2019
18 JAN AT 22:31

आँखों की जलन

अब रो कर भी आँखों की,
कम नहीं होती है जलन,
सपने साकार हो रहे हैं,
होठों पर कायम हो गई मुस्कान।
डूबते को कोई नहीं पूछता,
उगते को करें सब नमन,
नया साल, नया संकल्प,
नया अंदाज, हो नई कलम।

-


17 JAN AT 22:35

आईना

हमारे पास भी आईना है
तुम्हें दिखाएँ क्या?
मोहब्बत रास न आई,
नफरत का स्वाद चखाएँ क्या?
चेहरों की भीड़ में खोए हो,
अपनी तस्वीर दिखाएँ क्या?
तुम क्या नापसंद करोगे,
अपनी पसंद बताएँ क्या?

-


16 JAN AT 19:08

ये इश्क है जनाब...

ये इश्क है जनाब
इसकी कोई दवा नहीं बिकती
ये इश्क है साहब, इसकी सिर्फ सजा मिलती है
कहने को तो कहते हैं कि ईश्वर प्रेम है
पर प्रेम की इजाज़त नहीं मिलती
ये इश्क है जनाब इसके बिना पर और इसके बिना
जिंदगी नहीं कटती।

यह इश्क है जनाब इसकी कोई दवा नहीं बिकती,
यार के दीदार बगैर दिल को खुशी नहीं मिलती।
उनका ख्वाब देखे बगैर सुबह नहीं होती।
ज्वर इश्क का चढ़ जाए तो उतारे नहीं उतरती।


-


16 JAN AT 19:08

ये इश्क है जनाब...

ये इश्क है जनाब
इसकी कोई दवा नहीं बिकती
ये इश्क है साहब, इसकी सिर्फ सजा मिलती है
कहने को तो कहते हैं कि ईश्वर प्रेम है
पर प्रेम की इजाज़त नहीं मिलती
ये इश्क है जनाब इसके बिना पर और इसके बिना
जिंदगी नहीं कटती।

यह इश्क है जनाब इसकी कोई दवा नहीं बिकती,
यार के दीदार बगैर दिल को खुशी नहीं मिलती।
उनका ख्वाब देखे बगैर सुबह नहीं होती।
ज्वर इश्क का चढ़ जाए तो उतारे नहीं उतरती।


-


15 JAN AT 23:07

जमीं से जुड़ी
जब तक थी डोर
उड़ान भरती थिरकती
रही चहुँओर
रिश्तों की लचक में जब
रही नहीं मज़बूती,
उलझनों की भीड़ में हुई
जिंदगी कटी पतंग।

-


14 JAN AT 19:23

आँसू बता गया...

.. अब भी दिल में छिपा रखा है
सिर्फ मुझको!
बगल में उसके जरूर है वो,
मन में उसके रहती कोई
अपनी खुशी अपना गम
जाहिर करते नहीं झिझकता वो
उसकी आँख में आया आँसू
बहुत कुछ बता गया मुझको!

-


13 JAN AT 8:25

मुस्काई है

पिया मिलन की बातें सोच
मन ही मन मुस्काई है
कब तक होंगे उनके दर्शन,
पलकें बिछ-बिछ आईं हैं
इक इक पल की देरी हो रही
युग-युगान्तर से तरसाई है
ओ दुख की बदली छँट जाओ,
सुखदायक रंगीन समां बँध आई है।

-


10 JAN AT 8:45

ज़ुल्फें - चेहरे पर सादगी

ज़ुल्फें तेरे चेहरे पर सादगी लाईं हैं
क्या राह में रुकावटें अड़ गईं हैं?
बचपन खोने लगा है गुमशुदगी में
अब तो इन जुल्फों में सफेदी-सी आई है।

जुल्फें तेरे चेहरे पर सादगी लाई है,
ऊँचाई पर उसने सब काज तजकर तेरी छवि बनाई है।
अभिलाषा है बस निहारते रहें ,
आसमान से इक परी उतर कर आई है।

डाॅ० रीता लकड़ा, राँची ✍️

-


9 JAN AT 19:41

हर शख्स मेरा साथ

हर शख्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता,
हर अक्स मेरा हो भी नहीं सकता।

मुंसिफ न हो मेरे इन क़दमों के ए इंसां,
हर कदम मेरा रक्स हो भी नहीं सकता।

हमज़ा मैं हज़ार दफ़ा बता भी नहीं सकती,
ज़ेबा मेरी ज़ुबां है किसी को दुखा नहीं सकती।

-


8 JAN AT 10:40


रुलाओगे क्या

अब मुझे झूठे ख़्वाब दिखाकर
रुलाओगे क्या?
उम्र के इस पड़ाव पर लाकर भी
सताओगे क्या?
छिपा रखा है जिसे वह जख्म किसी को
दिखाओगे क्या?
लोग हथेली पर नमक लेकर है
कहीं तुम भूल तो नहीं गए?
खड़ी हुई हूँ पैरों पर मुझे फिर से
गिराओगे क्या?
गिरगिट - सा तुम अगले पल कोई नया रंग
दिखाओगे क्या?
अब मुझे झूठे ख़्वाब दिखाकर
रुलाओगे क्या?

-


Fetching REETA LAKRA Quotes