देश का उत्थान करने को जिसने भी बीड़ा उठाया,
जाकर शिकागो में भारतीय संस्कृति को लहलहाया,
जिनके विवेक से,पौरुष,बल,तेज से,विदेशी भी सिर झुकाए,
ऐसे वीर,धीर स्वामी विवेकानंद को हमयुवा अपना गुरु बनाएं।-
रोम -रोम आज भी ऊर्जा से भर जाता
ऐसे महावीर , मनधीर थे स्वामी जी
जिनके अनमोल बोल का कोई तोल नही
ऐसे ज्ञान के भंडार थे स्वामी जी
जिस उम्र में हम-आप जीवन का लुत्फ लेते
उस उम्र में माँ भारती के सारथी थे स्वामी जी
विश्व में निज राष्ट्र की महानता बतलायी
आज भी वो महानायक महारथी हैं स्वामी जी-
जब तक जीना है
तब तक सीखना है
अनुभव ही जगत का सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं।
🙏 शत् शत् नमन 🙏
🙏 स्वामी विवेकानंद 🙏-
प्रेम विस्तार है , स्वार्थ संकुचन है इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है वह जो प्रेम करता है जीता है , वह जो स्वार्थी है मर रहा है इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो , क्योंकि जीने का यही एक मात्र सिद्धांत है , वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो
स्वामी विवेकानंद जी-
युवाओं के कंधों पर
युग की कहानी चलती है!
इतिहास उधर मुड़ जाता है
जिस ओर ये जवानी चलती है!!
#राष्ट्रीय युवा दिवस की ढेरों शुभकामनाएँ ।-
दर्शन सूत्र@ स्वतंत्र बाबा( पीड़ा)
लोग अक्सर ही पीड़ा से घबरा कर मुंह मोड़ लेते हैं,क्या वाकई इतना घृणित मनोभाव है पीड़ा। किंतु मुझे तो पीडा सदैव ही आवश्यकता विशेष का बोध कराती है।सामान्य अर्थों में समझें तो रात्रि में निद्रा पूर्ण नहीं हुई तो सिर में दर्द,शरीर पर वाह्रय हमला तो बुखार की पीड़ा । इन अर्थों में देखें तो पीड़ा क्या है ? पीड़ा वास्तव में एक सूचना है जो भविष्य के आसन्न संकट की सूचना देती है।
क्रमशः-
युवाओं को तो बनना
नहीं किसीके लिए उपहास...
उनको तो रचाना हैं
भारत का नया इतिहास...
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कुछ कर सकें, ऐसा मुझे वरदान चाहिए
जो हवा का रुख भी मोड़ सके
ऐसा स्वाभिमान चाहिए,
हम बुद्ध जैसा बन सकें, ऐसा "ध्यान" चाहिेए
जहां भगत, विवेकानंद जन्में हों
मुझे वही प्यारा "हिंदुस्तान" चाहिए...-
स्वामी विवेकानंद जी की स्मृति में भारत में प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को 'राष्ट्रीय युवा दिवस' मनाया जाता है। भारत विश्व में सर्वाधिक युवा जनसंख्या वाला देश है। ये युवा शक्ति ही भारत का भविष्य है। शायद इसीलिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने 'इंडिया 2020' नाम की अपनी कृति में भारत के एक महान राष्ट्र बनने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रेखांकित की है।
विचारणीय तथ्य है कि कोई भी राष्ट्र अपनी युवा पूंजी का भविष्य के लिए निवेश किस रूप में करता है? हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व देश के युवा बेरोजगारों की भीड़ को एक बोझ मानकर उसे भारत की कमजोरी के रूप में निरूपित करता है या उसे एक कुशल मानव संसाधन के रूप में विकसित करके एक स्वाभिमानी, सुखी, समृद्ध और सशक्त राष्ट्र के निर्माण में भागीदार बनाता है।यह राजनीतिक नेतृत्व की राष्ट्रीय व सामाजिक सरोकारों की समझ पर निर्भर करता है।
किंतु युवा शक्ति की ऊर्जा का संतुलित उपयोग राष्ट्र को उन्नति के नए सोपानों तक पहुंचाता है। युवा शब्द को उलट दें तो वायु का जन्म होता है। जब वायु पुरवाई के रूप में धीरे-धीरे चलती है तो सबको सुखद लगती है।किंतु गलत दिशा से चलती आंधी विनाश ला सकती है।आवश्यक है कि देश के युवक स्वामी विवेकानंद के जीवन से प्रेरणा लें।40 वर्ष से कम की अल्पायु में उन्होंने पूरे विश्व को सनातन दर्शन से परिचित कराया।
क्रमशः
सिद्धार्थ मिश्र-