क्या हार में, क्या जीत में
किंचित नहीं, भयभीत मैं
संघर्ष पथ पर जो मिले
यह भी सही, वह भी सही
वरदान माँगूँगा नहीं
कवि : शिवमंगल सिंह 'सुमन'-
बहुत बना ली परियाँ, अब फिर से शक्ति स्वरूपा बनाएं
म्यूज़िक क्लास ना भेजें भले, पहले जुडो कराटे सिखाएं
अरे!अंकल के पास जाओ बेटा,ऐसा व्यवहार ना निभाएं
डरती हुई सुरक्षित है गुड़िया, फ्रेंडली नहीं डरपोक बनाएं
जॉनी जॉनी रटवाने से बेहतर, अच्छा बुरा स्पर्श सिखाएं
प्रतिघात यदि करना पड़े, भेड़ियों के नाज़ुक अंग बताएं
हर जगह हर बात में, उचित नहीं डटे रहना भी समझाएं
कहें उन्हें, जमकर एक वार कर,तुरंत वहाँ से भाग जाएं
महंगा मोबाइल बाद में लेंगे, छोटी कटार पहले दिलवाएं
परफ्यूम से सस्ता आता है, पेपर-स्प्रे हमेशा साथ रखवाएं
फ़िल्मी भांड बिकाऊ हैं, इतिहास के असली हीरो बताएं
नींव मज़बूत हो बचपन से ही, कश्मीर का किस्सा सुनाएं
सिंड्रेला की कहानी बहुत हुई, वीरगाथा पद्मिनी की सुनाएं
ना छल सके बहरूपिये,धर्म के प्रति वो स्वाभिमान जगाएं-
मैं गरीब था , स्वाभिमान ना छोड़ सका ,
वो शहजादी थी मनमानियां ना छोड़ सकी।-
वो अपने ही क्या..!!
जिसकी वजह से स्वाभिमान ना हो.।
और वो स्वाभिमान ही क्या..!!
जिसमें अपने ना हो.।।-
अभिमान न आने पाए
जीवन ऐसे जीते जाए
चाय की मिठास तरह
जीवन मे मिठास समाय ।
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सुनो स्त्री श्रृंगार के डिब्बीयां में
अगर कुछ रखना तो प्रथम
वक्त और स्वाभिमान रखना ।-
मंदिर-मस्जिद करने वालों
भाई-भाई होकर लड़ने वालों
'इंसानियत परमोधर्म' तुम समझ न सके
असल में तो तुम मातृधर्म भी निभा न सके।।
अहं-वहं में जीने वालों
अहं को ही स्वाभिमान समझने वालों
'स्वाभिमान सर्वोपरि' तुम समझ न सके
असल में तो तुम आत्म संबंध भी निभा न सके।।-
उड़ना मैं चाहूं बन तितली एक
नन्ही सी मैं जान हूँ
करती हूँ नादानीयां मैं
अभी दुनिया से अनजान हूँ
लगते है सब प्यारे प्यारे
घर में सब की मैं जान हूँ
थोडी़ थोडी़ बदमाशीयों से
करती सब को परेशान हूँ
ना होना नराज़ कभी मुझ से पापा
मैं आप की स्वाभिमान हूँ।-
उस इंसान को कभी मत खोना जो "अनादृत स्वाभिमान" से हताहत होने के बाद भी हमेशा आपकी इज़्जत और कदर करता हो
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