क्या उस दौर में कभी लौट पाऊँगी क्या
चाचा लोग के साथ कुछ फिर से
गुनगुनाऊंगी क्या
मां की डांट सुनकर भी देर तक
सो पाऊँगी क्या
एक तारीफ के लिए चाय बनाने
हाजिर हो जाऊँगी क्या
बाबा के कॉमेडी शो का हिस्सा
फिर से बन पाऊँगी क्या
पापा का मजबूत बेटा बनने के बाद
वो नाजुक वाला अहसास भूल जाऊँगी क्या
बच्चों में बच्ची बना रखा था सबने
वैसा बचपन जी पाऊँगी क्या
मेरी तिगड़ी भी अब दूर हो गयी
बोलो अपने भेद अब छुपाऊंगी क्या
टूटी हूं सम्भली हूं फ़िर समेट चुकी हूं खुद को
पर यादों को कभी भूल पाऊँगी क्या
कुछ नए लोग हैं कुछ नए रिश्ते हैं
पर अपनों को याद न आऊंगी क्या
SHWETA तो मैं अब सुबह से शाम तक होती हूँ
बोलो अब MANU बन पाऊँगी क्या 🥹....-
From___U.P.
Asst. Teacher 👩🏫
लफ्जो का प्रयोग सोच समझ के करना 😏
हर ... read more
साँसों में तुम , आँखों में तुम
ये मत पूछो कितना याद करते हैं।
याद करने का पूछते भी क्यूँ हो?
याद तो भूल जाने के बाद करते हैं।-
नाकाम कोशिशों का मुकम्मल मेल हूँ मैं
तुम जश्न-ए-ज़फ़र बन पाओ तो आना
गलतियां तो मेरा पर्याय बन चुकी हैं
तुम बिगड़े को यदि सुधार पाओ तो आना
सामान्य कभी कुछ मिला ही नहीं मुझको
तुम यदि विशिष्ट बन पाओ तो आना
शब्दों से शख्त पर भाव से सौम्य हूँ मैं
तुम मुझको यदि समझ पाओ तो आना
कभी छोड़ा कभी पकड़ा मैं वो शख्सियत नहीं
तुम दृढ़ता से यदि थाम पाओ तो आना
अधूरी बातें मुझे कभी रास नहीं आती
तुम विस्तार से बता पाओ तो आना
समझदारों की भीड़ से सहम जाती हूँ मैं
तुम बचपना जता पाओ तो आना
जीतने की ज़िद ना रुकने का हौसला है मुझमें
तुम यदि साथ चल पाओ तो आना
मैं खुद को खुद नहीं समझ पाती अक्सर
तुम मुझे यदि खोज पाओ तो आना
कुछ तो बेशक अधूरा है श्वेता में
तुम खुद को यदि जोड़ पाओ तो आना-
किसी बेहतरीन प्रश्न का एक मात्र उत्तर बनने
की चाहत है साहब.....🫠
विकल्प वाले प्रश्न से मेरा लगाव ही नहीं है 😆-
त्यौहार खत्म होने के साथ साथ
खत्म हुआ हमारा समय जो हमने अपनों के लिए
निकाला था.......
वापस लौट कर फिर से खो दिया वो सब कुछ अपना
वो अपनों का प्यार दुलार मज़ाक डांट और बहुत कुछ...
अब फिर से अहसास हुआ कि अब बस
वही खाली सा कमरा, वही अपनी नौकरी और सन्नाटा घेरे हुए मेरा अकेलापन मेरे साथ है...😌
🥺Miss you all🥺-
कुछ ऐसा असर-ए-सोहबत हुआ है मुझ पर 🤭
बेवक्त मुबाहिसा की शौकीन होती जा रही हूँ
🤣🙈🤣-
जश्न-ए-अज़ीम की मोहलत कहाँ है साहब
हमतो लम्हों में मुस्कुराकर तसव्वुर कर लेते हैं ...
🥀❣️🥀-
एक अनोखा सफर
जो क्लास की बेंच से शुरू हुआ
और शिक्षक की कुर्सी तक पहुँचा
दिन अवसर इस साल भी लौटे
पर बदल गया मेरा पद मेरी जगह
कल तक प्रेम सम्मान देते थे
आज वही लौट रहा है ..........
शायद उससे ज्यादा ही 🫠
बच्चों का प्रेम देखकर अनायास ही आँखें भर आयीं
और अहसास हुआ की एक विद्यार्थी का प्रेम
शिक्षक के लिए क्या मायने रखता है 😊
ईश्वर मुझे वो सामर्थ्य प्रदान करता रहे की मैं इन
प्यारे बच्चों के प्रेम का मोल चुका पाऊं🙇♀️
Thank You So Much बच्चों 🎊
🥀❣️🥀
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चलिए ये भी हुनर आपको दिखाते हैं
आप आजमाते रहिए अपनी चाहते हम पर
हम दूर बैठ कर मुस्कुराते हैं 🤭
🥀❣️🥀-
उसकी गलतियों के अज़ाले में
ये मुमकिन तो नहीं
हम खुद की तहज़ीब को
खाक कर बैठें........
❣️🥀❣️-