बैठाया है जो गोद मे, अब मुझको उठाओ ना।
जैसा भी हुँ तेरा हुँ ,फिर से गले लगाओ ना।
पापी हुँ दुराचारी हुँ , जैसा भी हुँ पुत्र तो तेरा हुँ।
शरणागत हुँ माई, इस तरह ना ठुकराओ माँ।।
रक्षा करो महामाई।।
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कागज़ के हवनकुण्ड में
कलम की श्रुवा से
शब्दों की देता हूँ आहुति
हे ज्ञान की देवी
तुम्हारे चरणों में समर्पित
इस अज्ञानी की स्तुति-
गर्जन तर्जन भाव से, मेघ करे उद्घोष।
जगजननी भयहारिणी, शुभ मंगल जयघोष।
आदि शक्ति वरदायिनी, महिमा अपरम्पार ।
भक्ति भाव अर्पण करें, नमन करो स्वीकार।।
आदिशक्ति जगवंदिता, प्रथमा आविर्भूत ।
शैलपुत्री आराधिता, नवोन्मेष नवरुप ।
ब्रह्मचारिणी उद्भवा, हरती जन के क्लेश।
आदिशक्ति वरदायिनी, नाशै विध्न विशेष ।।
महिषासुर संहारिणी, विध्वंसक श्रृंगार ।
चन्द्रघंट वरदा शुभा, दिवस तीन अवतार ।।
शशिघंटा भयहारिणी, सिंहवाहिनी रुप।
वरद-हस्त रखना सदा, हर्षित हिय अनुरूप।
आदिशक्ति यशदायिनी, रवि मुख सम आलोक।
देवि कूष्मांडा प्रिया, चतुर्दिवस संयोग ।
कमल हस्त सिंहासना, त्रिपुर सुंदरी गात।
स्कंदमाता सर्वप्रिया, पंचम पुण्य प्रभात ।
ताम्राम्भोज निवासिनी, आरूढ़ा शार्दूल ।
देवि कात्यायनी नमन, कर शोभित त्रिशूल।
प्रीति 🙏 🌿 🌺
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क्यूँ राहों में भटक रही इक माँ
दया दृष्टि की भीख लिए
क्यूँ फिर वंदनीय हो जाती इक माँ
माटी की मूरत लिए
क्यूँ हृदयहीन मनुज पाषाण पूज
कर होता है हर्षित
क्यूँ अनभिज्ञ रहता है निज पथ में
क्रंदन करती करुणा से....!-
वंदन बारम्बार है,
हे जगत आधार।
कृपादृष्टि रखिए सदा,
विनय करो स्वीकार।।
विनय करो स्वीकार प्रभु,
अरज है दो कर जोर।
सूर्योदय हो ज्ञान का,
तिमिर बड़ा घनघोर।।
घने तिमिर का नाश कर,
हरो अहम्-अभिमान।
मैं से मुक्ति हो मेरी,
जय-जय कृपा निधान।।
कृपा निधान रक्षा करो,
है अधर्म प्रचण्ड।
अभयदान दो धर्म को,
सब मण्डल रहें अखण्ड।।
सब मण्डल कल्याण को,
पग धर करिए पाथ।
माप सकल ब्रह्माण्ड दो,
जय हो जग के नाथ।।-
हे मातेश्वरी,हे शक्ति दायिनी
तुम्हरी महिमा अपरम्पार....
कर में जिसके कमल विराजे
नेत्रों में तेरे असीम प्यार .....
हे सिंह वाहिनी,हे ब्रह्म चारिणी
समझा दे तू जग का सार...
हम नर-नारी हैं अज्ञान,
अपनी कृपा का दो वरदान
भूल-चूक की माफी दे दो
हे मइया तुम चरणों में ले लो
चरण रज तेरी मैं पा जाऊँ
हो जाए मेरा बेड़ापार....
हे भगवती,हे विंध्यवासिनी
नष्ट कर तू अत्याचार ...
कर दे सबका तू उद्धार
कर दे सबका तू ..🌺🙏
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मां कैसा ये किस्मत का लेखा है
उस मां का
जिसको वहां...
किसीने ना देखा है
तू तो जग को देने वाली है
ये भीड़ तुझे देने आली है
मां तू ही बता उन्हें
क्या ज़रूरत तुम्हें
ज़रूरत है जहां
देते नहीं वहां
क्या यही श्रध्दा है
ध्यान किसी का नहीं
और मर रही वृद्धा है-
श्री कृष्ण स्तुति
करते जतन मन बाँवरे,नैनन बसो रे साँवरे ।
छवि है अलौकिक श्याम की,लागी लगन प्रभु नाम की ।
सुंदर सरल मनमोहना ,मंगल करें सब कामना ।
हो पूर्ण सबकी याचना, होगी सरल जो भावना ।
मोहे न आसा धाम की,लागी लगन प्रभु नाम की ।
मुरली अधर पर जो सजे,लय प्राण भरती वो बजे।
राधा सुनें मीरा भजे,जग मोह माया को तजे ।
ना कामना अब काम की,लागी लगन प्रभु नाम की ।
करुणानिधान सुजान हो,अंतर बसे वो प्राण हो ।
मन चेतना का ज्ञान हो,फिर क्यूँ बने अंजान हो ।
बाधा हरो संग्राम की,लागी लगन प्रभु नाम की ।
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शिव स्तुति
भोले शिव शंकर का शृंगार निराला है
गंगा है जटाओं में बाघम्बर डाला है
नंदी की सवारी है छवि अद्भुत न्यारी है
जो ध्यान करे शिव का मन उसका शिवाला है
शिव-शक्ति की जोड़ी भक्तों को प्यारी है
इनके अंतर बसती ये सृष्टि सारी है
जो दर्शन पाता है वो भव तर जाता है
शंभू की कृपा सारे संकट पर भारी है
हे नीलकंठ आकर विष को धारण कीजै
सृष्टि में साँसों का अब संचारण कीजै
बस तेरा सहारा है अब कौन हमारा है
भक्तों के कष्टों का अब तो तारण कीजै
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