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सूखे पत्तों को था शौक उड़ने का, आग लगी और राख हो गयी
जिंदगी को था गुमान ख़ुद पर, मौत गले लगी और ख़ाक हो गयी-
दरख़्त की करो रखवाली सभी,ये जीवनदान दे जाएँगे
वरना सूखे पत्ते भी कहीं, कभी और नज़र नहीं आएँगे।
दरख़्त = पेड़ , वृक्ष-
सूखे पत्तों सी हो गयी है जिंदगी हमारी...
रंग जाते ही लोग भी चले जा रहे हैं छोड़ कर..!!-
Mai kya hun kaise hun
Tere bina sukhe patte jaise hun
मैं क्या हूँ कैसे हूँ
तेरे बिना सूखे पत्ते जैसे हूँ-
सूखे पत्ते सी ज़िन्दगी कभी इधर कभी उधर उड़ी सी जा रही है,
लाख थाम भी लूं तो क्या होगा टूट कर साख से कोई पत्ता क्या फिर हरा होगा। #कमल सहारा
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वक़्त ने रिश्तों की नमी निचोड़ ली मुझसे,मुझको सूखा पत्ता कर दिया.....
कभी मैं भी जुड़ा था डाल से अपनी,और लहलहाता था.....
_sonia'abtar'-
जो सूख गए पत्ते तो
हैरां होते हो क्यों
ये दुनिया है जनाब
पल भर में इंसान
बदल जाते हैं-
न देखना कि कितने हैं, उदास सूखे पत्ते।
है एक नए बसंत की, आगाज़ सूखे पत्ते।।
जो पेड़ से बिछड़ के, बिखर गए जमीं पर।
बताए कैसे वेदना के, अल्फ़ाज़ सूखे पत्ते।।-