अगर तुम्हारे ग़म की वज़ह
सिर्फ तुम्हारा अहम है,
तो बेश़क...
इसीके हक़दार हो तुम।
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तुम किसी अधूरे ख़्वाब से हो,
मेरी जान किस गुमान में हो?
मैं नींद से जाग गया हूं कबका,
और तुम मुझे याद भी नहीं।-
कभी भूखे पेट
नहीं सोने देता,
खुदा अपने बंदों को
तौफीक देता है।
यूं मुंह का निवाला
गुस्से में ना थूका करो,
खुदा बेकद्रों से
रिज़्क़ छीन लेता है।-
कहता था, बहोत
संभाल के रखेगा हमें।
मुर्शिद...
उसने तो निशानियां
तक मिटा दी हमारी।
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एक मेरे ग़म से ही तो,
वजूद है तेरा...
मुझसे मिल के
क्या ख़ाक होना है तुझको?-
तुमने देखा था
मेरा टूट के बिखर जाना
तुमने देखा ही कहां
मेरा पत्थर हो जाना
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Relations are hungry.
They eat only loyalty.
Without it they die.
IF you want them forever.
Then just...
" FEED THEM"
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If you want to end
any relationship
with anyone,
then do it completely.
remove them from everywhere.
From your brain.
From your heart.
From your life.
From your contact list.
Wait,
Wait,
Wait...
Last one is very important
Specially remove them,
From your
"BLOCK LIST"
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महोब्बत थी पहले तुमसे
अब एक सीढ़ी और चढ़ गए है,
पढ़ते-पढ़ते हम इश्क का पहाड़ा
गए।
अब ना है तो ना सही,
तेरे हक में फिर भी दुआएं मांगी हैं
महोब्ब्त ने साथ चाहा था,
इश्क ने खैरियत मांगी है...
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