गम की तरह
समेट कर रखना चाहो मुझे
:
तो ,
:
सुनो फिर
मेरे गम की दासता हर दफा ....-
सुनों...
मेरी शिकायत छोड़ो,
अब तो इन झुमकों को भी शिकायत हैं ?
तुमसे ....
इन्हें भी सजना हैं ☺️ मेरी तरह तुम्हारे हाथों से ,
मेरे कानों में ....-
जब कोई तुम्हारे जज्बातों को समझता नहीं
अपनी ही धुन में राग अलापा करता है
सँग अपने तुम्हे गवाया करता है
बुरा लगता है तो लगने दो
हमारा क्या जाता है
ऐसे न हर किसी की बात का बुरा माना करो
अपने से बेहतर हर इंसान को माना करो
सभी की हाँ में हाँ मिलाया करो
सुनो सभी की करो अपने मन की
ये बात सभी को समझाया करो
दुनिया तो बातें बनाती रहती है
सँग अपने तुम्हे नचाया करती है
नाचना तुम्हारा काम नहीं
भीड़ में रहना तुम्हारी शान नहीं
समझना हो तो समझ लेना
तुम कोई आम इंसान नहीं-
सुनो! ये जो मुखौटा पहना हैं ना तुमने
वो अब उखड़ने लगा हैं,
इस पर ज़रा झूठ की एक परत चढ़ा लो!-
सुनों......
तुम्हारे बिना जिंदगी बीत रही है
लेकिन जी नहीं जा रही है।-
सुनों ! तुम्हें जाना है ना,
ठीक है चले जाना..
बस जाते-जाते वो जो
दिल दिया था ना,
उसे पहले सा लौटा जाना..-
उलझ कर रह गया हूं
हकीकत और ख़्वाबों कें बीच
सुनों मिल कर यें उलझन सुलझा दों न...
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बेबसी थी इन आखों में.. कि उसकी एक झलक तो मिल जाए
तडपन थी इन लबों पर... कि एक मुस्कान तो मिल जाए
जलन है उस शिशे से... जिसमें तेरी तस्वीर बन जाए
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