सिमटी हुई सी कहानी है, फिर वही बात पुरानी है
हमराही की तलाश है , चाहते उसकी बेमानी हैं...
उसी गली में हर बार आकर ठहर जाती हूँ...
जिंदगी की उलझनों की यही कहानी है...
प्रतीक्षा ही लिखी है इस जीवन मे शायद
उसकी वो घड़ी कुछ पुरानी है....
आकांक्षाओं की डोर खींचती है उसकी ओर
हक़ीक़त की चोट में हैरानी है...
जम गये हैं आंसू अब तो नयनों के कोरों में
तुमसे ये नई नई मुलाकात भी सूनी है...
इश्क़ में खो गए और वास्तव में सब भ्रम निकला
तुम्हारे झूठे वादे ही जख्म की निशानी है....-
रास्तों को मोड़ मिल गया था
मुझे जिंदगी का एक छोर मिल गया था
तुम्हारी बेबाकियों का आसरा था
लेकिन तुम्हे शायद कोई और मिल गया था.
चाहते बेमानी साबित हो जाती हैं हर बार
सन्नाटों को एक शोर मिल गया था
वक्तव्यों में उलझ सी गयी थी जिंदगी
मुझे तुम्हारे वादों का ठौर मिल गया था
अलहदा निकला हर साख का वाकया भी
रंज के निशान का एक दौर मिल गया था।
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ख्वाबों की हक़ीक़त में तू अपना है
जिंदगी की गहराइयों में पर तू एक सपना है
हासिल मंजिलों की बेरंग सी कहानी है
हसती हमारी बस एक परिकल्पना है
ये जो ठहराव में भी उलझने शामिल हैं
समय के चक्र की यही वेदना है
सिसकियों में मौन का समागम है
रास्तों की यही अधूरी संवेदना है
वास्तव में जिंदगी की तस्वीर धुँधली है
तेरा अक्स ही लेकिन मेरी सम्भावना है
मैं तो कहती हूँ कि हो जाये वो मेरा ही
अगर उसके हृदय की यही भावना है
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सुकून था जिंदगी में प्यार की दस्तक आ गयी
मोहब्बत में इनकार की भी वजहें आ गयी...
पथ प्रदर्शित करने का विचार था उस वक़्त
अब इस व्यापार की भी वजहें आ गयी...
तम हरने को दीपक जलाया था
हवा के पास भी अब वज़हें आ गयी...-
इस संसार मे तुमको अपना आसरा माना था
तुम्हे ही तो कश्ती का किनारा माना था..
धराशायी उम्मीदों की बिखरी हुई सी कहानी है
तुम्हे ही बस जीवन का सहारा माना था
उजालों ने भी छल किया है वक़्त बेवक़्त...
उन ऊंचाइयों को ही बस नज़ारा माना था
अधिकार की बातें वर्चस्व हीन हो गयी हैं
तुम्हारी उन बातों को खुशियो का इशारा माना था
गुंजाइश ही नहीं रह गयी है अब तो जरा
भविष्य के सपनों को हमारा माना था
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सब करके भी हार जाने की आदत है
मुझे हर बार रूसवा होने की आदत है
अरमान बिखरने थे ये पहले ही मालूम था
लेकिन मुझे तेरे इंतजार की आदत है
सम्भलना तो जैसे कभी सीखा ही नहीं
मुझे हर बार बिखर जाने की आदत है
भरोसा तो तुम पर हर बार हो जाता है
मुझे तेरे झूठे वादों की आदत है
कसक रह जाती है हर बार कहीं दिल मे
कि मुझे तुझसे इश्क़ करने की आदत है-
आईने को ऐतबार है
कि मुझसे उससे प्यार है
जिंदगी टुकड़ो में बंट गयी है
कि दिल बहुत बेकरार है
समाधान चाहते थे जिंदगी से
कि अब तो ऐसे ही करार है
संभालना बिखरना भी सीख लिया है
कि अब बस सुकून का इंतजार है
वापसी का कोई मतलब नही है
कि तुम्हारे कृत्यों से दिल बेजार है
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तेरी तस्वीरों की तामीर बना बैठी हूँ....
मै तुझको ही तकदीर बना बैठी हूँ।
राह कठिन है मैं जानती हूं ये सब कुछ...
तेरे अक्स की ताबीर बना बैठी हूँ।
मसले कुछ उलझ कर रह गए हमारे यूहीं....
तेरे इश्क़ को बस नज़ीर बना बैठी हूँ।
मात मिल रही है मोहब्बत में इस कदर कि...
तेरे प्यार को मैं वजीर बना बैठी हूँ।
चलते चलते बहुत दूर निकल आये हम..
तेरी चाहतों को अब जागीर बना बैठी हूँ।
तकल्लुफ वक़्त से था मुझको शायद..
तुझको मैं अपनी तासीर बना बैठी हूँ।
गहन अंधकार है चारो ओर अब तो...
तुझको मैं उजालों की तदबीर बना बैठी हूँ।
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तुम्हारे ख्यालों में कुछ गम सी रहती हूँ...
इन आँखों की नमी में भीगी सी रहती हूँ
आफ़ताब से दूरियाँ बरक़रार हैं अभी तक
तभी तो आजकल इन अंधेरो में रहती हूँ।-