सिमटी हुई सी कहानी है, फिर वही बात पुरानी है
हमराही की तलाश है , चाहते उसकी बेमानी हैं...
उसी गली में हर बार आकर ठहर जाती हूँ...
जिंदगी की उलझनों की यही कहानी है...
प्रतीक्षा ही लिखी है इस जीवन मे शायद
उसकी वो घड़ी कुछ पुरानी है....
आकांक्षाओं की डोर खींचती है उसकी ओर
हक़ीक़त की चोट में हैरानी है...
जम गये हैं आंसू अब तो नयनों के कोरों में
तुमसे ये नई नई मुलाकात भी सूनी है...
इश्क़ में खो गए और वास्तव में सब भ्रम निकला
तुम्हारे झूठे वादे ही जख्म की निशानी है....
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