मंजिले खो गईं
रास्ते का कुछ पता नहीं
ज़िंदगी किधर जा रही
ये मुझको भी पता नहीं-
Humare labj bhi ab humare kaha hote hai
(DOB-14th A... read more
कभी खामोश तो कभी बेजुबा होते हैं
हमारे लब्ज़ भी अब हमारे कहा होते हैं
देते है खुद को तसल्ली बहुत सोचने के बाद
जिन्दगी से हैरान परेशान अब हम कहा होते हैं-
इक काम कर दो मेरा
इक ज़ख्म सील दो मेरा
मालूम है रह जायेंगे दाग इसके लेकिन
साथ में तेरे हाथों के स्पर्श भी रह जायेंगे
बस इतना सा काम कर दो मेरा
इक ज़ख्म सील दो मेरा
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वक़्त को देख अपने हालातों सें भी मुँह मोड़ लेती हैं
यें स्त्रियां भी न बड़ी अजीब होती हैं
Happy Women's Day-
जब भी मिलतें हैं उनसें कुछ न कुछ रह जाता हैं
क्या हैं यें जो कुछ रह जाता है
कोई कमी या कुछ बातें या फिर कुछ और देर की मुलाकातें
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बात करतें-करतें तुझें हीं देखतें हैं
फिर यें देखतें हैं कि तेरी तस्वीर देखतें हैं-
किसी कें चलें जानें सें, या फिर आ जानें सें
अब हैरानी नहीं होती
वों कहतें हैं न किसी चीज की आदत हो जानें सें
फर्क नहीं पड़ता उसकें होनें या न होनें सें-