गवाह कई थे मेरे प्रेम के
गली नूक्कड रस्ता
और मंजिल सिर्फ एक तुम....
मेरे गवाह भी तेरे हक की गवाही देते मिले....!-
Hobby :-writing
कुछ अलग हूँ
कुछ जुदा हूँ
में अपनी खुशनसी... read more
तुम्हारी हमारी वो उलझी सी बातें
कागज की कश्ती और आंसू की बरसातें
ना भूलेगा दिल वो दिन और रातें...!-
नया साल में पुरानी यादें
मैं भूली नहीं तुम्हें किये जो भूल जाने के वादे...!-
घर की हर वस्तु का जिसे पता है वो खुद जाने क्यूँ बरसों से लापता है।
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दुनिया के फ़रेब ने बहुत कुछ सिखाया
पर तुमसे मैंने अच्छा इंसान होना सीखा है माँ...!-
पुरूष ने सिर्फ सुख की बारिश में इंद्रधनुष देखा
परन्तु स्त्री के पास अपना एक आकाश है जिस पर रोज सजा देखती है वो दुखों का इंद्रधनुष....!-
वो बीस बरस की है या तीस बरस की क्या फर्क पड़ता है
पैसे बचा कर वो खुद के लिए साड़ी नहीं घर के लिए परदे ही खरीदती है और खुश होती है,
घर ने उसको क्या दीया और
उसने घर को क्या दीया
ये हिसाब किताब में दर्ज नहीं हो सकता...!
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भाग्य की धनी थी वो जब तक बेटी थी
बहू, पत्नी, माँ बनकर परोस दिया
उसने अपना भाग्य रिश्तो को...!-