अब तो सुधर जा यार मन ,
नुकसान काफ़ी हो चुका ।
इतिहास तुम देखो ज़रा ,
दुश्मन वहीं मन बन चुका ।
हैंरान हूँ हत प्रभ हूँ ,
जल शीश ऊपर जा चुका ।
कुछ तो फ़िक्र तुम भी करो ,
मन अब पराया हो चुका ।
बर्ताव कैसा कर रहा ,
मन निर्लज्ज अब हो चुका ।
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बस इक लतीफ तबस्सुम बस इक हसीन नजर
मरीजे-गम की हालत सुधर भी सकती है,-
जरुरी तो नही हम जो सोचे वो सच हो जाये,
जिंदगी के हर मोड से कोई आसानी से गुजर जाये।
जरुरी तो नही बुराई के रास्ते पर चलनेवाला,
शमशान से पहले हर कोई आसानी से सुधर जाये।-
सड़कों कनारे
पड़ी मटमैली थैलियां
कारो में से फैंका
कूड़ा कचरा
शराब की टूटी बोतलो
संग नौजवानों की
रंगरेलियां
समाज में स्वच्छता
के नाम पर
दाग वाली कविताएं है।
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दानपात्र मन्दिर का तुम भर आओगे,
पर पेट गरीब का भरना हो तो पीछे हट जाओगे,
एकता का नारा तुम लगाओगे,
पर लड़ाई हिन्दू मुसलमान की हो तो लड़ते नज़र आओगे,
नारी शक्ति और सम्मान पर भाषण तुम सुनाओगे,
पर आज़ाद पंछी जैसी वो जीना चाहें तो बन्दिशें लगाओगे,
न जाने कब तक ये झूठा चेहरा तुम दिखाओगे,
फरेब की खिदमत छोड़ कर कब वास्तव में सुधार लाओगे,
बस गुज़ारिश है अगर छोटा सा कष्ट तुम उठाओगे,
ये संसार सुधर जाएगा अगर खुद सुधर जाओगे।
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इतना मत गुरूर ला ...
मत कर इतना घमंड ...
...अपने दीवाने पर...कुछ तो ...
...इस दिल पर तरस खा...-
प्यार की बातें करके मुकर जाते है लोग।
सच कहाँ तुमने दिल से उतर जाते है लोग।।
जरुरी नहीं की गलती करके ही सीखा जाए।
दूसरों की गलती से भी सुधर जाते है लोग।।-
सब के खातिर जिस दिन मर गया था मैं
याद है मुझे वो दिन कि फिर सुधर गया था मैं-