कभी ख्वाबों में , कभी जज़्बातों में !
हम भी तो जी रहे हैं इन्हीं फिज़ूल की बातों में !!-
मुस्कुराहट को फ़िर होगा सजाना उसके लबों को आज,
बीती रात, रात को सीने से लगा रोयी है जो सारी रात ।।-
तू कर ले कोशिश लाख दिल को सीने की !
मैं कर दूंगी मजबूर जाम-ए-इश्क पीने की !!-
किसके सीने में है दर्द कितना
क्या उसकी मुस्कान ही वो पैमाना है-
अब....,
जो दर्द, हमारे सीने में है......,
उसका मर्ज, तेरे बाहों में, जीने में है.......।।-
ना सिर्फ अब इन आंखों में ख्वाब रखता हूं
मैं वो बादल हूं जो सीने में आग रखता हूं-
सौ दर्द छिपे है सीने में..!!
मगर अलग ही मज़ा है,
हसकर जीने में..!
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सीने से लगाके
सुन वो धरकन
जो हर पल तुझसे
मिलने की जिद
करती है !-
सीने से अपने लगाये थे वो
कि अब भी महकती है रातें मेरी
लबों से इश्क़ पिलाये थे वो
कि अब भी बहकती है रातें मेरी
हया का चिलमन हटाये थे वो
कि अब भी दहकती है रातें मेरी
साँसों की सरगम सुनाये थे वो
कि अब भी चहकती है रातें मेरी-