उम्र की चार दिवारी बिच कभी ऐसा भी पल आएगा
मां की लाड़ो बिटिया है एहसास दिलाया जाएगा !!
सज धज कर आने का फ़रमान सुनाया जाएगा
बाबा के संस्कारों का मोल-भाव कराया जाएगा !!
कभी रंग-रूप, कभी चाल-ढाल, कभी कलम थमाया जाएगा
कभी तीखी इशारों में काग़ज़ टुकड़ा हर-तरफ बढ़ाया जाएगा !!
खिलती कलियां चुप सी होगी ना हाल बताया जाएगा
दर्द भी ख़ुद में समेटे हुए आंसू भी छुपाया जाएगा !!
कब तलक बिटिया के बाबुल कर्जदार जताया जाएगा
समाज का पाला सौदाई रिवाज़ बताया जाएगा !!
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