मैं काली रात का सीना भी चिर दूंगा
गर तुम अंजुली भर मोहब्बत का साथ दे दो।-
सीमा पर सैनिक कुछ ऐसे ईद मनाते हैं
दुश्मन की गोली को सीने से लगाते हैं-
तूने हरियाली चुनी
मुझे दे दिया बंजर
जैसे समंदर के सीने में
बादलों ने घोंपा खंजर-
अगर रुक जाये
किसी के दिल की धड़कन
तो उसके सीने में
मेरी किताब रख देना।
अगर वो जी न उठे
तो मुझे मौत मंजूर है।-
मुझे न जाने क्यों वो इतना आजमाने पर था
वह शख़्स मेरी शोहरतों को मिटाने पर था
इत्तेफाकन तीर नही मेरे सीने में आ लगी
बहुत दिनो से मैं उसके निशाने पर था-
जब मेरे सीने पर सिर रख कर, वो चैन से सो जाती है
मेरी माँगी हुई हर अधूरी दुआ, जैसे क़ुबूल हो जाती है
ना शिक़वा रहता है ख़ुदा से, ना ख़ुद से कोई शिकायत
सच कहता हूँ उस एक पल, ज़िन्दगी वसूल हो जाती है
- साकेत गर्ग 'सागा'-
दिल गुस्साए..मारे ताने,
क्या यही थी हिम्मत..ये मानें?
इतना ही डर जो था मन मे,
क्यों बढ़ गए तब सीना ताने ।-
हम तेरी बातों को कब तक सीने से लगाएँ,
कुछ ऐसा हो कि तू खुद हमारे पास आए।-
एकाध इंच की कमी भी चलती हैं,
इन्किलाब के लिए जिगर मांगता हैं!-
सह ली सारी चुभन सीने ने,तेरे सीने पर तब मिली पनाह
इबादत का नूर बढ गया हैं,अब दर्द मुरझाने का कहाँ....
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