सुहाग वाला समान देख मन उसका भी ललचाता होगा न,
बेबस मन को दिल उसका न जाने कैसे मनाता होगा न।-
..और जब जब
भोर का सूरज
आकाश की मांग में
स्वर्णिम सिन्दूर
सजाता है
...
...
बादल का
हर टुकड़ा
आईने में
खुद को देख
शर्माता है..!!
-
ख्वाहिश है तेरी मांग में मेरे नाम का सिंदूर हो
दुआ है कि ये ख्वाहिश इसी ज़िन्दगी में पूरी हो-
"खंजन को लज्जित कर देता,
नैनो का अंजन मेरे।
मैं प्रतिकृति हूं रति की,
तुम मेरे कुशल चितेरे।
कुंचित अलकें घुंघराली सी,
मन को लुभाए ये तेरे।
मैं ख़्वाब बुन रही तेरे संग,
देखो कितने है सुनहरे।
मतवाली सुंदरता मेरी,
जैसे हो लाली सवेरे।
कुमकुमचूर्ण भर दो अलकों में,
लो जनमजनम के फेरे।"
❣️-
काश! तुम अपने इश्क़-ए-सिन्दूर से मुझे रंग देते,
अपने नाम की सुहागन रुपी मंगलसूत्र पहना देते,,-
फूल,सिन्दूर,अंगूठी,कंगन,मेहंदी,झुमका
सब ले आये है
:
बस....अब तू हां करदे मेरी जान
हम व्याह का सारा सामान ले आये है.. !!-
विधवा थी वो,
पर सिंदूर की शक्ति पर विश्वास था ।
भरती थी अपनी माँग वो,
अनजान शहर में खुद को,
बचाये रखने का अनोखा प्रयास था।-
किसी की टूटी चूड़ी किसी ने सिन्दूर मिटाया था,
पुलवामा के इस हमले ने पूरे देश को रुलाया था।-
काजल की लक्ष्मण रेखा इन नयनो में
ना अब कोई और बस सके इन लोचन में💜💜
माथ सजी दमकती सिंदूरी बिंदिया
समर्पित करती तुझ को अपनी जीवन नैया💜💜
एक चुटकी सिंदूर का सजना बाकी है
तेरे आँगन का एक कदम का सफ़र बाकी है 💜💜
-