राजा बोला रात है
रानी बोली रात है
मंत्री बोला रात है
सन्तरी बोला रात है
ये सुबह सुबह
की बात है
~ गोबिंद प्रसाद-
इस सीढ़ी पर, यहीं जहाँ पर लगी हुई है काई
फिसल पड़ी थी मैं, फिर बाँहों में कितना शरमायी!
लेकिन तब तो कभी न हममें तुममें पल-भर बनती!
तुम कहते थे जिसे छाँह है, मैं कहती थी घाम है!
ये फागुन की शाम है!
-
ना ही वो हिन्दू लिखेगा ,ना मुसलमान लिखेगा।
हमेशा एकता का गीत हर जवान लिखेगा।
धर्म,भाषा,मज़हब और मुल्क में तो हमने बांटा है
बहेगा खून सरहद पे तो हिन्दोस्तान लिखेगा।
✍️राधा_राठौर♂-
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।
-
"तुम्हें लिखना चाहती हूँ, उर्दू में,
और खुद को समेट लेना है,हिंदी में।। "
-
सब कहते आशा छीन रही
पर मन मोह रही ये विभावरी
उम्मीदे मांगे एक भोर नई
मन चाहे सदा रहे ये शर्वरी
-
आशाओं के इक मरघट पर,
भावों की भीनी चौखट पर,
विश्वासों के विस्तृत वट पर,
इस जीवन सागर के तट पर,
हम फिर तुम संग हसाँ करेंगे
हम फिर तुम संग रहा करेंगे।
जीवन की मझधार बड़ी थी,
तुमको खोना हार बड़ी थी,
लेकिन हमको ढोना ही था,
दुख की गठरी द्वार पड़ी थी,
उसे उठाये तुम्हें सुमिर कर,
हमने खुद को ढूंढा दर दर,
लेकिन मर्यादा में रहकर,
श्वास श्वास ले हर इक घट पर,
हम फिर तुम संग हँसा करेंगे,
हम फिर तुम संग रहा करेंगे।-
राजा बोला रात है
मंत्री बोला रात है
एक एक कर फिर
सभासदों की बारी आई
ऊबासी किसी ने
किसी ने ली अंगड़ाई
इसने उसने देखा देखी
फिर सबने बोला रात है....
ये सुबह सुबह की बात है!-
"लेखन के लिये तन्हाई की जरूरत होती है."
'सोच' को भी एक शांत कोने की तलाश होती है.भीड़ को कभी सोचते देखा है.…वो तो आवेग है....-