Bhut samay ho gya?
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✌भीतर की अगन पर आब लिखने आया हूँ
✌तुम्हारे ख़्वाब पर कुछ ख़्वाब लिखने आया हूँ
✌वही जो मुद्दत... read more
चारो ओर प्रलय करता है,
खुद को जब निर्भय करता है।।
तीन टांग वाला चेतक भी,
लम्बी दूरी तय करता है।।-
जितना जिसने जाना समझा, हमने वो अपनाया
सब किरदारों से बढ़कर अपना किरदार निभाया।
मुश्किल हो चाहे आसां हों, ये मार्ग समर्पण का है
हमने बदला समय, हमें ये समय बदल ना पाया।।
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जिस दिन तुम थे मिले मुझे गंगा के बहते नीर किनारे,
उस दिन आखिर, मुझ को अपना एक निवेदन,
कहना तो था!
अर्ध्य लगाकर तन्मयता से सूरज के सब प्रतिबिम्बों को,
हमको तुम संग ना रहकर भी हर क्षण तुम संग,
रहना तो था !
अनवरत.......!-
यकीनन , आपसे पूछा करेंगे,
हमें भी क्या पता हम क्या करेंगें,
तुम्हें दर दर भटकना ना पड़ेगा,
तेरी चौखट को हम सजदा करेंगे ।-
जितना जाने उतना छीना,
कसमें खाना वादे पीना,
समझे तुम ये बात कभी ना,
तुम संग जीना, कैसा जीना?-
क्या! मुश्किल है?
इस जीवन को वक्र भाग को सरल सरल सा जीते जाना
महासमर के अंतिम क्षण तक एक दूजे का साथ निभाना
भवसागर के तट पर 'विजय' शब्द को अंकित करके जाना
नियति की सारी पीड़ाऐं हंसते हंसते हल कर जाना
एक हृदय का दूजे मन से दूजा भाव मिटाते जाना
क्या! मुश्किल है?-
सदा सदा से रहते आये है हम बड़े अभागे,
इसीलिए हे मुरलीधर! अब हमसे वचन न मांगे।
ये राजमहल के वैभव और धन धान्य मान मर्यादा,
हमने त्यागा है प्रण के खातिर इन सबको ज्यादा।
ये शब्द बचाने के खातिर हम युगों युगों तक जागे।
इसीलिए हे मुरलीधर अब हमसे वचन न मांगे।-
उड़ जा पाखी छोड़ सभी ये दुनिया के दस्तूर,
निकल जा खुद से थोड़ा दूर...!
देख सभी ये कंकड़ माटी तेरी राह निहारे,
फूल झड़े ये निर्झर उपवन प्रतिपल तुझे पुकारे।
तुझे देखने को व्याकुल है कुंठित सभी दशाएं,
तुझे जानने को आतुर है जग की सभी दिशाएं।
परिणीत हो इस परिणय में बन जा तू सिंदूर,
निकल जा खुद से थोड़ा दूर....!
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मेरे अंदर के कईं सारे 'मै'
और
तुम्हारे अंदर के बहुत से 'तुम'
बात करते है।
और
हमें लगता है कि
'हम' बात करते है।-