अलविदा 2020 अब याद ना आना तू,
न जाने भारी रहा किस-किस पर तू।
कैदी बन घर पर रहे कहर-ए-कोरोना जब छाया,
अनेकों घर के दीपक बुझे उठा कितनों के सर से मां-बाप का साया।
2020 जीवन में ऐसा आया ,
जिसमें किसी ने कुछ न पाया ।
मृत्यु हुई मेरे प्यारे मामा की ,
न जाने कितने मां के दुलारो की ।
2020 का इतिहास बड़ा खराब रहा यह साल,
अर्थव्यवस्था ठप रही पलायन कर मजदूरों का हुआ बुरा हाल ।
पैदल चल मजदूर अपने घर तक पहुंचे कुछ हादसे का शिकार हुए,
भारत-चीन झड़प में वीर-पराक्रम दिखा गलवान में कई जवान शहीद हुए ।
लॉकडाउन जब हुआ गरीबों के पेट पर चल गया आरा,
खेती छोड़ कड़ाके की ठंड में धरने पर बैठ गया किसान सारा ।
कितने ही परिवार उजड़े साथ छूटा अपनों का,
कौन इसका हिसाब देगा 2020 में लगे जख्मों का ।
हे सृष्टि के पालनहार !आप ही हरोगे हर पीड़ा सभी के जीवन से ,
नए साल पर हो खुशियों का आगाज़ प्रार्थना करो सभी उस ईश्वर से।।
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