जवाब देने हैं, सवाल बाकी है
दिल में अब भी मलाल बाकी है,
नया रंग उमड़ आया बादलों पर
पूछना उनसे उनका हाल बाकी है,
इक कागज की कश्ती बहाई थी
देखना हवाओं की चाल बाकी है,
शोर तेज है आज धड़कनों का
वो करीब हैं, ये खयाल बाकी है,
पिघल रहा वक्त 'दीप' हर लम्हा
ख़ामोशियों का ये साल बाकी है !-
साल तो ख़त्म हो गया लेकिन
हमारा सवाल ख़त्म नहीं हुआ
साल तो ख़त्म हो गया लेकिन
हमारा इंतिजार ख़त्म नहीं हुआ
साल तो ख़त्म हो गया लेकिन
हमारा हौसला ख़त्म नहीं हुआ
साल तो ख़त्म हो गया लेकिन
हमारी उम्मीद ख़त्म नहीं हुई
साल तो ख़त्म हो गया लेकिन
हमारा सफ़र ख़त्म नहीं हुआ
साल तो ख़त्म हो गया लेकिन
हमारा सवाल ख़त्म नहीं हुआ-
ह्रदय भेदते बीछोह के क्षण यह
के अश्रुजल में वह बन अतीत गया,
लड़ते ख़्वाब-ओ-ख्वाइशों से जिंदगी के रण में
.....एक और साल बीत गया!!
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कम कर गया सबका ज़िंदगी का एक साल,
हम हँस के कहते है इकत्तीस दिसंबर देखिए ज़नाब।-
हजारों साल बीते
पर इसका खारापन नहीं जाता
न जाने किसके आंसू हैं
समंदर तेरे पानी में-
ख्वाब नए बुनते हैं खयाल गुजर जाते हैं,
कुछ जवाब ढूंढने में सवाल गुजर जाते हैं,
उम्र भी बस यूँ ही गुजर जाया करती है,
उंगलियों में गिनते ही साल गुजर जाते हैं !-
सबसे यही सवाल पूछता हूँ
कैसा बीता साल पूछता हूँ
क्या क्या किया हासिल तुमने
किस बात का है मलाल पूछता हूँ
गरीबी मुझसे देखी नहीं जाती
अमीरों का मैं हाल पूछता हूँ
जिनके सीने में है काला दिल
गोरी क्यों उनकी खाल पूछता हूँ
भीगी भीगी सबकी पलकें
फिर सूखे क्यों ताल पूछता हूँ
चाहते हो किसे फँसाना
किसने बिछाया जाल पूछता हूँ
खून है सस्ता जहाँ पानी से
महँगी क्यों है दाल पूछता हूँ
खामोश खड़ा है हर पेड़ यहाँ
किसने काटी डाल पूछता हूँ
सामने चुप रहते हो तो पीछे
बजाते क्यों हो गाल पूछता हूँ
क्या इंसानियत मर चुकी है
देख हाथ में कुदाल पूछता हूँ
काँप रही है क्यों रूह मेरी
आया कहाँ भूचाल पूछता हूँ
देख के हाथों में तलवारें
रखी कहाँ है ढाल पूछता हूँ
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अलविदा 2020 अब याद ना आना तू,
न जाने भारी रहा किस-किस पर तू।
कैदी बन घर पर रहे कहर-ए-कोरोना जब छाया,
अनेकों घर के दीपक बुझे उठा कितनों के सर से मां-बाप का साया।
2020 जीवन में ऐसा आया ,
जिसमें किसी ने कुछ न पाया ।
मृत्यु हुई मेरे प्यारे मामा की ,
न जाने कितने मां के दुलारो की ।
2020 का इतिहास बड़ा खराब रहा यह साल,
अर्थव्यवस्था ठप रही पलायन कर मजदूरों का हुआ बुरा हाल ।
पैदल चल मजदूर अपने घर तक पहुंचे कुछ हादसे का शिकार हुए,
भारत-चीन झड़प में वीर-पराक्रम दिखा गलवान में कई जवान शहीद हुए ।
लॉकडाउन जब हुआ गरीबों के पेट पर चल गया आरा,
खेती छोड़ कड़ाके की ठंड में धरने पर बैठ गया किसान सारा ।
कितने ही परिवार उजड़े साथ छूटा अपनों का,
कौन इसका हिसाब देगा 2020 में लगे जख्मों का ।
हे सृष्टि के पालनहार !आप ही हरोगे हर पीड़ा सभी के जीवन से ,
नए साल पर हो खुशियों का आगाज़ प्रार्थना करो सभी उस ईश्वर से।।-
ए जाने वाले पल रत्ती भर नफ़रत नहीं तेरे लिए
बेवजह क्यूँ तुझपर इल्ज़ाम लगाकर छोड़ दूँ
आने वाला कल ना जाने कैसा होगा यारों
आज के बीतते दिन का ग़म कैसे छोड़ दूँ
अच्छे वक्त का धन्यवाद करूँ तुझे हर बीतती घड़ी
बुरे दिन की तारीख मन से मिटाकर छोड़ दूँ
तुझसे फासला बारह मास किस कदर विदा करूँ
साल-भर रखा जिसे हाथों में कैसे जाता छोड़ दूँ
तुझसे नाता तोड़ने की सोचूँ तो मौत आ जाए
ए मेरे दिल के टुकड़े 2019 तुझे कैसे छोड़ दूँ
जो चलें है कैलेंडर जलाने वो तुझसे है बेख़बर
बेनाम को जिसने नया साल दिया उसे कैसे मरता छोड़ दूँ
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