नाम की चाह तो है सभी को, काम करने की भला किसे दरकार।
किनारा प्रिय है यहां सभी को, कौन चाहता डूबना भला मझधार।
सत्य कटु होता है जानते सभी, कोई नहीं चाहता उससे होना दो चार,
सहयोग की चर्चा तो करते बहुत, पर कितना रखते हम उससे सरोकार।
कठिन से कठिन काम आपसी सहयोग से संभव हो जाता है पर,
न जाने क्यों लोग कथनी करनी, अपनी नहीं रखते हैं इकसार?
Chandrakandajain
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