प्रेम किसी को गुलाबी,
किसी को आसमानी दिखा,
मैंने जब भी देखा यह मिट्टी सा दिखा।
भुरभुरा नहीं,भंगुर नहीं
सशक्त,सबल
सारी भावनाओं का भार
उठाते दिखा.....-
प्रेम का रंग न लाल,गुलाबी न नीला होना चाहिए
मिट्टी के रंग सा इसे,मिट्टी सा सशक्त,सबल होना चाहिए
©Anupama Jha
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इस शोर भरी दुनिया में खुद को खोना लाज़मी है
लेकिन व्यक्ति को इतना सशक्त होना चाहिए की अपना खोया हुआ वजूद फिर से पा सके
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"ना गुलाम बन सका ना भक्त
ये कैसा हो गया है मेरा रक्त
कोई नेता ना लगा मुझे सशक्त
क्योंकि मेरा रवैया है देशभक्त..."-
तुम्हारे प्रति "प्रेम" हमारे "ह्रदय" की गोपनीयता में विकसित हुआ है।
यह धीरे- धीरे विशुद्ध होकर समय के साथ सशक्त होता जा रहा है..!-
इस समाज में लड़किया लाचार थी और लाचार ही रहेंगी, क्योंकि यहां लड़कियों के जीवन का प्रथम उद्देश शादी बनाया गया हैं सशक्त होना नहीं।।
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"मुगालते दूर होते रहें सबके
बहुत जरूरी है यह भी
देश में सशक्त प्रजातंत्र है
जनाब मानेंगे यह भी"-
समझ पाये हैं
कि क्या होता है
'विरोधाभास' का
व्यावहारिक प्रयोग!
क्या होते हैं खुशी के आँसू,
कैसा होता है मीठा दर्द,
सुकून इंतज़ार का,
और कैसे बनते हैं प्रियतम
सशक्त करने वाली
एक कमज़ोरी...-
जगमगाती इस दुनिया से,
जो जितना विरक्त होता है....
सच पूछो तो अंदर से,
उतना सशक्त होता है.....-
मैं वोट हूँ
आजाद लोकतंत्र का एक जिम्मेदार नागरिक ही नहीं, बल्कि इसकी एक सशक्त पहचान भी हूं सिर्फ जनता नहीं, जनार्दन भी हूं, सिर्फ शासन का रखवाला ही नहीं प्रशासन का कर्ता धर्ता और हर्ता भी हूं, मैं सिर्फ एक वोट नहीं, बल्कि लोकतंत्र का भगवान भी हूं ।-