बात बस इतनी-सी थी
कि कुछ खोयी
कुछ सुस्त
कुछ उनींदी-सी मैं
चाह रही थी सृष्टि से
एक चुस्की धूप!
हवाओं ने
एक प्याले आलिंगन के साथ
मेरा प्रस्ताव स्वीकार कर लिया!-
@arpiponders
सुनो सजना,
आज यदि तुम्हारे शहर में
टूटकर बरसात हो,
तो समझ लेना
बादल श्रेष्ठ संदेश-वाहक हैं!
कल रात मैंने उनके कानों में
तुम्हारे हर प्रश्न का उत्तर
गुनगुनाया था...-
सुनो, मुझे अच्छा लगता है तुम्हें पढ़ना...
क्योंकि तुम्हारे काव्य का दीया जलने पर
मुझमें एक अलौकिक लौ प्रज्वलित होती है!-
देख रही हूँ टकटकी लगाए
वो चलचित्र
जो शिक्षण प्रवृत्ति की प्रकृति
दिखा रही है सर्वत्र!
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सुनो चाँद,
मैं तुम्हें नज़र भर देखने से भी घबराने लगी हूँ!
यह धूप अंखियों के झरोखों से चाँदनी भी चुरा लेती है!-
निर्मोही समझे जाने वाले व्यक्तियों की व्यथा समझो
तो अपनी शिकायत को निलम्बित करना
कुछ सरल हो जाता है,
और बस तब
नासूर की टीस उतनी नहीं सालती!-
Guess i'm not the same writer any more...
because i don't read my heart any more...-
They say, a new year brings new hopes. But what happens to the hopes
that the last new year had brought?
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