इस बसंत पंचमी
माँ सरस्वती आपको
हर वो विद्या दे
जो आपके पास नहीं है
और जो है उस पर
चमक दे जिससे
आपकी दुनिया
चमक उठे!!!-
मित्रों, मां शारदा की आराधना को समर्पित पावन पर्व बसंत पंचमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। विद्या व ज्ञान की देवी मां शारदा आप सभी के जीवन में हर्षोल्लास व उत्साह का नवसंचार करें।🙏
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या कुन्देन्दुतुषारहारधवला
या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा
या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत
शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
आप सभी को वसंत पंचमी की बधाई!
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सर्वदा,सर्वत्र तुम,हो ज्ञान का 'परचम'
हृदय में वास तुम,हो संगीत की 'सरगम'
विद्या का पर्याय "माँ",हर पथ पे हो 'अनुगम'
स्नेह,सत्य और करुणा का हो तुम 'संगम'।।
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"पीली-पीली सरसों झूमे,
गाए गीत मल्हार है;
रंग-बिरंगे रंग हैं बरसे,
मन वसंत बहार है।
फूलों का अंग-अंग खिला,
कलियों पे निखार है;
प्रकृति पर छाया अनुपम,
सौंदर्य और श्रृंगार है।
सरसराहट हवा महकी,
कलकल नदियों की झंकार है;
नई उमंग नई तरंग लेकर आया,
वसंत पंचमी का त्योहार है।"
- Anjali Singhal — % &-
हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी...
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे।।
साहस शील ह्रदय में भर दे,
जीवन त्याग-तपोमर कर दे,
संयम सत्य स्नेह का वर दे,
स्वाभिमान भर दे। स्वाभिमान भर दे।।-
ए विद्या देवी सरस्वती
उपकार इतना कीजिये
न बैर किसी से हो कभी
मन इतना शांत कीजिये
लालच मन में न आए कभी
संतोष इतना दीजिये
लक्ष्य प्राप्त कर सकूं
हिम्मत इतनी दीजिये
नज़रें कभी न उठने पायें मुझ पर
सम्मान इतना दीजिये
ए विद्या देवी सरस्वती
उपकार इतना कीजिये।
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""याद करा जहिया कुँवार रहलु...""
""पियवा से पहले हमार रहलु....""
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चाहे पहले कोई पटी हो या न पटी हो ,चाहे पहले तुम कितना भी शरीफ रहे हो पर विसर्जन में अगर तुम इस गाना पर नहीं नाचे तो तुम्हारा #सरस्वती_पूजा बेकार।डीजे में इस गाना पर नाचने का अपना ही रूतबा और अपना ही मजा है ।
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सारे गुलाल में नहाये हुए लौंडे बदहवास से नाचे जा रहे थे ।कुछ-एक ने केन लिया हुआ था और इस उम्र में जोश की कमी कभी होती ही नहीं ।
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भले साढ़े-नौ बज गये थे पर मुंशी-पोखर भी ज्यादा दूर नहीं था ।बस मस्जिद चौक पार करते ही दस मिनट पर पोखर था ,वही 'माँ' का विसर्जन होना था ।
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लौंडे पैर थिरकाये जा रहे थे,हाथ हवा में उठाये जा रहे थे ,गुलाल उडाये जा रहे थे कि अचानक एक पत्थर उड़ता हुआ आया और प्रतिमा पर लगी ,फिर इसके पीछे और पत्थर उड़ते हुए आए,फिर पत्थरों की बारिश ...
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किल्क करके पूरा पढ़ें-
उत्सव है ज्ञान का, पर्व है ज्ञान देवी का,
अज्ञान तम दूर हो, पर्व है बुद्धि देवी का।
श्रद्धा सुमन संग है नमन, माँ हंसवाहिनी,
बसंत पंचमी पर्व, पूजन होता वाग्देवी का।-
वीणा की झंकार, मन के तार संवार दो,
हे! हंसवाहिनी माँ हमें अपना प्यार दो।
तुम्हारी ही करूँ वंदना हे माँ तुझसे, ही जग-संसार ,
सारे दुर्गुण नष्ट करो माँ कर दो निर्मल ये मन।
मैं बालक अज्ञानी कर दो जान प्रकाश,
माँ तु ज्ञान की गंगा, तुमसे ही शब्दों का भण्डार।
शीश झकाए माँ मांगू, स्वप्न कर दो साकार, हे! हंसवाहिनी, हे! वीणापाणि' माँ दे दो हमें अपना प्यार ।
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