वीणा की झंकार, मन के तार संवार दो,
हे! हंसवाहिनी माँ हमें अपना प्यार दो।
तुम्हारी ही करूँ वंदना हे माँ तुझसे, ही जग-संसार ,
सारे दुर्गुण नष्ट करो माँ कर दो निर्मल ये मन।
मैं बालक अज्ञानी कर दो जान प्रकाश,
माँ तु ज्ञान की गंगा, तुमसे ही शब्दों का भण्डार।
शीश झकाए माँ मांगू, स्वप्न कर दो साकार, हे! हंसवाहिनी, हे! वीणापाणि' माँ दे दो हमें अपना प्यार ।
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Pankaj Kumar gupta
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Joined 21 April 2020
16 FEB 2021 AT 11:43
4 FEB 2021 AT 22:52
बादल भी है और हवाएं भी हैं,
याद भी है और यादें भी हैं,
धूप भी है और बारिश भी हैं,
पर तू नहीं है और ना तेरी महक।-
31 JAN 2021 AT 23:54
हर ग़म को इस धुएं में उड़ाता चला गया,
🚬🚭
वो आशिक़ था जनाब मुस्कुराके चला गया।
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26 JAN 2021 AT 0:20
Childhood is when you celebrate 26th jan as for sweet distributions in school and the maturity is when we realised the sacrifices of our brave soldiers and celebrate it.
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26 JAN 2021 AT 0:18
कर्ज है उस लाल रंग का इस तिरंगे पे जो
बह गए इसकी आन बान और शान के लिए।-
26 JAN 2021 AT 0:14
बचपन तब होता है जब आप स्कूल में मिठाई वितरण के लिए 26 जनवरी को मनाते हैं और परिपक्वता तब होती है जब हमें अपने बहादुर सैनिकों के बलिदान का एहसास होता है और इसे मनाते हैं।
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23 JAN 2021 AT 7:45
This picture tells entire history about
india's real hero
Jai Hind ki Sena 🇮🇳-