सरकारी कागजों पर दिन रात
तेजी से, है विकास चल रहा,
वो आंकड़े बदलते रहे, और
हमें लगा, है देश अपना बदल रहा ।-
कोई "व्यक्ति" मरता है तो उस पर होता है "शोक",
पर जब वो व्यक्ति, "एक व्यक्ति" से बन जाता है
"सरकारी आंकड़ा" तो उस पर शोक नहीं बस होता है "बहस",
और वो बन जाता है "मरे हुए शरीर" से
"अगले चुनाव" में "वोट बटोरने "का "मुद्दा"..!!!
(:--स्तुति)-
ये कितना बड़ा व्यंग है अपने देश का,
कि "सरकारी स्कूल" में पढ़ते हैं बस
"गरीब आम जनता के बच्चे",
"सियासत द्वारा प्रशासित स्कूल" में
सियासी लोग "अपने बच्चे" को ही नहीं पढ़ाते..!!!!-
कोई सरकारी नौकरी की तैयार में था जुटा
किसी की हर रोज की कमाई से जलता है चूल्हा
कोई केस मुकदमे में था न्याय की आस में फसा
किसी की डोली सज कर थी घर के आँगन में तैयार
कुछ लोगों के छोटे छोटे सपने सजाये थे अपनी कमाई पे
कोई किसी से मिलने की आश में था वर्षो से नजरें बिछाये
न जाने कितने लोंगो पे ये शीतम ढा रहा है
चीन की गुस्ताख़ी की सजा पूरा देश काट रहा है-
🌺 बड़े बाबू 🌺
काले करतूत के बड़े बाबू
तृष्ण ख़्वाब सजा रखें हो
अलबत्ता नहीं काली छाया की
जितना माहौल बना रखें हो
बहुतायत चले इस डगर पे
वक्त जकड़न मुक्तिपाने का
आओ तुझे नहला दे अब
आंखों के इस आमृत धारा से
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उनकी ख्वाबों का हम एक आशियाना बनाने लगे
पाई पाई जोड़कर के हम दौलत कमाने लगे
फिर हुआ यूं कि, उनको मिला एक सरकारी नौकर
तबसे ही वो हमसे ना मिलने के बहाने बनाने लगे
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कई साल लकड़ी के बिस्तर पर नींद निकाली है।
यू ही नही मिली नौकरी दिन रात जागा है।
कई दीवाली और होली बन्द कमरे में बिताई है।
सूरज निकल कर डूब जाते थे पर धूप न ले पाई है।
आज लोग कुछ भी कहे मगर ये जगह मेहनत से पाई है।
कई साल बीत जाते थे हमने गाँव की गली न देख पाई है।
तपता रहता था संघर्ष की लड़ाई में ...
कुछ अच्छा होगा इस उम्मीद की लड़ाई में...
हम आज भी लगे है समाज मे कुछ अच्छा करने के लिए।
कोई बच्चा अनपढ़ न रहे हमारे भविष्य कि सुन्दरता के लिए।-
सरकारी मेहमान हूँ, कुछ वज़न तो डालो
यूँ बे-वजह फाइलों की धूल नहीं उड़ाता.!-