जवानी का नशा उतरने दो, समझदारी खुद आएगी।
उजाड़ के अपना घर ,दूसरे की छत पर रहने जाएगी।
वो भी भगा देगे, तब अपने घर की याद आएगी।
जब आओगे लौट कर ,तो अतीत के पन्ने मिलेगे।
आंख से अंशू आयेंगे, माफी नहीं मिल पाएगी।
गलती जवानी में की, ये बात बुढ़ापा बताएगी।
जिसे तुम मोहब्बत कहती हो, वो सिर्फ ज़िश्म का टुकड़ा है।
जिसके साथ हो तुम ,वो भी तो किसी का रिश्ता है।-
अर्ज किया हैं...
थोड़ा वक्त निकाल के हमारे दिल पर ठहरिये गा।
कुछ न क... read more
भटक गया हूं, खुद की तलाश में,कोई तो बताओ खुदा की ज़ुबान से।
अच्छा और बुरा क्या है,कोई तो समझाओ इस दिमाग़ को।-
जिस ससुर को दीया था सफलता का योगदान...
आज उन्ही पर प्रताड़ना का आरोप लगा रही हो...
अपना घर जला के अलाव ताप रही हो.....
जिस शहर में अपना घर बनाना चाहते हो... वो मुर्दों का ढेर है।
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नजरे मिला के शिर को झुकाना अच्छा लगता है।
उनके मन में क्या है,ये जानना बेहत जरूरी लगता है।
नाराजगी के दौर में , इल्जाम मुझे पता है।
उनका भी बराबर कसूर है, जितनी मोहल्ले में खबर है।
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वो बात ही बात में मना रही थी।
नोक झोंक में थोड़ा इतरा रही थी।
कहने को तो नाराज थी,पर मन ही मन मुस्करा रही थी।
ये अजब की दास्तां है दोस्ती की ,जो नए फूल खिला रही थी-
सड़क से लेकर दंगल तक मजबूत लड़ाई छेड़ी है।
वक्त जो मेरा पलटा है, गुहार खुदा से लगाई है।
सारे जग ने मेहनत देखी,उम्मीद मेडल की लगाई थी।
हमने अपना सब कुछ सौपा, तकदीर की खोई निशानी है।
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