जब कभी भी
पुरुष के किसी
दोष का दण्ड
एक स्त्री को
चुकाना पड़ा है
.
स्त्री ने
सफाई देने से
बेहतर समझा है
आजीवन
पत्थर हो जाना-
इजाज़त ना थी जिसे पराये नर से दो बात की
आज दहेज में उसे बिस्तर मिला है।-
आज कल तो सफल होने के मायने ही बदल गए हैं,
जो इंसान ""पर्याप्त भोजन"" खा कर जीवत रह सकता है , वो पर्याप्त से ज्यादा खाकर या पाकर ख़ुद को सफल बताता है ,,,
जो इंसान ""पर्याप्त जगह "" में रहकर अपना पूरा जीवन खुशहाली से बिता सकता है, वो पर्याप्त से ज्यादा लेकर खुद को सफल बताता है,,,
जो इंसान ""पर्याप्त कपड़े"" पहन कर रह सकते हैं, वो पर्याप्त से ज्यादा कपड़े लेकर ख़ुद को सफल बताते हैं,,,
ऐसी काफ़ी चीज़े हैं जो पर्याप्त से ज्यादा प्रयोग करके ख़ुद को सफल बताते हैं,,,
और ये पर्याप्त से ज्यादा चीज़े हमें वास्तविक सुख नहीं दे पाती बल्कि ये बीमारी और हमारे दुख़ के कारण बन जाती हैं,
और ये वही चीज़े हैं जो समाज को अमीरी और गरीबी देती है,,
किसी को भीख में कुछ देने के बजाए ख़ुद को पर्याप्त में ही रखकर जीवन में खुश और सबसे बड़ा दान होगा ।।।।।
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खोखला समाज उसकी खोखली सी बातें
सच्चाई कड़वी है मगर सच है 👇-
(जाति और धर्म)
जात-पात और ज्ञान-मान का
मत करना अभिमान।
मानव जात है इंसान धर्म की
चाहे पढ़ ले गीता या क़ुरआन।
सोच-सोच के समझ ले यारा
अपनी राह पर हक है तुम्हारा
हार है तेरा अपना वरदान
कर्म से तेरा हो सम्मान।।
जात-पात और ज्ञान-मान का
मत करना अभिमान।
जन विकास में सदाचार का
सदैव हो सम्मान।।
ये रंग तेरा वो रूप मेरा
क्या ये ही है पहचान?..
जात-पात और ज्ञान-मान का
मत करना अभिमान।
मानव जात है इंसान धर्म की
चाहे पढ़ ले गीता या क़ुरआन।
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वह चलती है तो उसे पता होता है कि पीछे कौन ,कैसी नज़रों से देख रहा है..! क्योंकी
जवान लड़की की एड़ी में भी आँखें होती हैं ,-
घर मे हर खोयी चीज को
खोजने
की अपेक्षा घर की औरत
से की जाती है,
अक्सर इन्हीं छोटी चीजों
को संभालते संभालते
वो गिरा देती है
खुद की बहुत सी आकांक्षाएं-