समता स्युं श्रवण, ब्रह्मचर्य स्युं ब्राह्मण,
ज्ञान स्युं मुनि अरू तप स्युं व्यक्ति तपस्वी बणै है,
यो बात कहतां हुया तीर्थंकर महावीर जी नै समग्र-
मानव जाति नै एकत्व को शंखनाद कियो-
उणा समझाया दूसरां नै बी आत्मतुल्य समझणो,
महावीर जयंती असल मैं आत्म संयम को संकल्प-
जगावै है,अजर अमर आत्म तत्व पार्थिव तन वरण,
जीओ अरू जीणै द्यो, सात्विक घोष नाद, वसुधा नै-
शुभ वर्गणा स्युं अनुदेशित कर, सुधा रस वाणी स्युं-
जग जग को कल्याण कर,मोह तज, होम जप स्युं-
कर्मा पर बहुमार करो, वीरता स्युं निर्वाण लियो..।
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