सभी कहते सच के होते पांव नहीं,
दरवाजे पर झूठ पूछतख मुझसे,
बताओ- बताओ तुम्हारा सच है कहां,
मुझे भी झूठ बोलना पड़ा, वो घर आया नहीं,
हमें अपने अधमरे सच को, बचाकर है रखना,
क्योंकि सच का गला घोंटने को,
झूठ रोज है गल़ी में घूमता,
मिल जाते झूठ का साथ देने अनगिनत,
कुछ भी बेच जाते भरे बाजार में,
सच की कीमत नहीं है बाजार में,
झूठ का बोलबाला है इस दुनिया में,
सच तो बेचारा फांसी चढ़ता दुनिया में,
सच की राह में आती अड़चनें हजार,
फिर भी झूठ की हार होती बार हजार.
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