न 'हिन्दू' बनो, न 'मुसलमान' बनो
न 'सिक्ख' बनो ,न 'ईसाई' बनो
बनना है तो "इंसान" बनो
"वतन" के लिए कुछ ऐसा काम करो
कि "भारत माँ" की शान बनो...।।🇮🇳🇮🇳
.........🇮🇳जय हिंद🇮🇳......
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ना देख इस कदर
की हौले से मुस्कराऊ
और होठों पर तिरा ही नाम आएं....
चल ना आज करते ऐसी गुफ्तगू
जवाब सूझे नहीं
तेरे सवालात कभी खत्म ना हो.....— % &-
कुछ "पुरूष" ऐसे भी होते हैं,
जो स्त्री के "बाहरी सुंदरता" और "बनावट" पर नहीं,
उसके "स्त्रीत्व", "स्वभिमानी रूप", "बेखौफ बोल", "तेज तर्रार सोच" पर मोहित होते हैं..!!!
वो समाज के "रूढ़िवादी विचारों" से "मुक्त" होते हैं, वो भेद भाव नहीं करते स्त्री पुरूष में, उन्हें पता होता है
की हमारे "ईश्वर" भी तो "अर्द्धनारीश्वर" है,
ऐसे पुरूषों को सबसे "श्रेष्ठ" श्रेणी में रखा जाना चाहिए..!!!!
(:--स्तुति)
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कुँवारे सदा ही सुखी हैं,
विवाहित सदा ही दुखी हैं,
कि तलवे सभी चाटते हैं -
अकेले सफर काटते हैं...
( शेष भाग अनुशीर्षक में पढ़िए)
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रोज लड़ते - झगते हम एक -दूसरे से फिर भी न अलग होते... ऐसा हमारा ये रिश्ता..
तेरी परवाह और मेरी फ़िक्र से चलता ये किस्सा...
हे अनोखा बंधन तेरा - मेरा...
हम ने नहीं ईश्वर ने जोड़ा साथ हमारा...
हैं सबसे प्यारा मुझको तू नहीं भाता कोई और मुझको एक सिवा मेरे भैया...
सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें 💞💞
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आप लोग जहाँ हो जैसे भी हो
खुश रहिएगा दोस्तो
आप लोगो का साथ इतना जरूरी नही है
जितना आप लोगो का सलामत रहना जरूरी है-
मेरे मिज़ाज से वो मेरा सवाल जान लेती है
मेरे अंदाज़ से वो मेरा ख़याल जान लेती है
सभी नाराज़ हो जाएं मगर माँ नहीं होती
मेरी आवाज़ से वो मेरा हाल जान लेती है-
तन्हाई कभी मेरा हाथ नहीं छोड़ती
शायरी दिल की दवात नहीं छोड़ती
सभी साथ छोड़ भी दें मेरा मगर
मेरी कलम मेरा साथ नहीं छोड़ती-
सभी कहते सच के होते पांव नहीं,
दरवाजे पर झूठ पूछतख मुझसे,
बताओ- बताओ तुम्हारा सच है कहां,
मुझे भी झूठ बोलना पड़ा, वो घर आया नहीं,
हमें अपने अधमरे सच को, बचाकर है रखना,
क्योंकि सच का गला घोंटने को,
झूठ रोज है गल़ी में घूमता,
मिल जाते झूठ का साथ देने अनगिनत,
कुछ भी बेच जाते भरे बाजार में,
सच की कीमत नहीं है बाजार में,
झूठ का बोलबाला है इस दुनिया में,
सच तो बेचारा फांसी चढ़ता दुनिया में,
सच की राह में आती अड़चनें हजार,
फिर भी झूठ की हार होती बार हजार.
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