सफ़ेदी लगाने में,बरसों लगे है साहब,
अभी मिनिटों में,कालिख कैसे पोत ले।-
मैं ठुमक ठुमक आंचल में आया,
सफ़ेदी के साथ कालिख भी लाया।।
मैं बार-बार आया,
सफ़ेदी और कालिख ही लाया।।
सफ़ेदी तो साफ़ हो गई,
सफे़दी में जब कालिख मिलाया।।
मैं बार-बार आया,
सिर्फ आंचल को काला बनाया।।
मैं फिर आया,
अब युग बदला-बदला पाया।।
सफ़ेदी देखकर चकराया,
सोचा आंचल ने मुझे मूर्ख बनाया।।
तभी आंचल मुस्कुराया,
मेरा आना-जाना दिखलाया।।
मैंने तो बस कालिख मिलाया,
उसने तो कालिख हटाया।।
मिलाया- हटाया,
आंचल ने तो बस क्रम बनाया।।
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सरकार बदलने वाली हैं चुनाव आ रहे हैं
जहाँ भी देख लो इश्तेहार ही लग रहे हैं ।
बैठे हैं सफेदी मे खरीदने वाले हर जगह
यहाँ तो सरेआम समाचार बिक रहे हैं ।।-
हमारे जनाजे में इतनी सफेदी मत दिखाइए,ये ऊपरी सफेदी ही हमारी जान ले गई!
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उम्र के किसी दौर में ना बांध दिल को,
कि बालों के सफेदी या चेहरे की झुर्रियां धडकनों को बूढ़ा नहीं कर सकती।-
मेरे कुर्ते की सफेदी आज फरियाद कर रही है
बेरंग पानी की रवानी तुझे याद कर रही है-
" सफरनामा "
आज हो गया लम्बा.. सफर पूरा ...
हर लम्हा जिसका,हमने जिन्दगी के पन्नो में था समेटा ,
तमाम, लोग गाडियो से मिलने आ रहे थे ... और, हम, सारी दौलत छोड़..चार काँधो पे चले जा रहे थे...
सब रंग , बेंरंग हो गये आज ...बस सफेदी में लिपटे ..
हम चले जा..रहे थे....
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झूंठे हैं रंग तुम्हारे छलाबे की तरह
हर बारिश में उतर जाते हैं एक -2 करके
तुमसे से ज्यादा कोई बदरंग नहीं इस दुनिया में
सफेदी में भी कम से कम चमक तो होती है
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