Sudeep Bhattacharya   (©SUDEEP 'The Deep')
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Joined 26 December 2016


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15 HOURS AGO

हैं फिर भी मगरूर
तनख्वाह थोड़ी भारी है पर
चौबीसों घंटे मजबूर
मौज मस्ती से रहते हैं
लेकिन ये कोसों दूर
बैल हैं ये कोल्हू के भैया
पर नाम से हैं मशहूर
मई दिवस के अवसर पर इनको
हैं शुभकामनाएं भरपूर

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30 APR AT 18:02

तेरे ख़्यालों में खोए
थक गये थे हम बहुत-
रात भर खूब सोए !
सिलसिलेवार, कई ख्वाब जुड़ने लगे -
संग-संग हम , आकाश में उड़ने लगे !
नींद टूटी जब, फफक-फफक के रोए-
तेरे ख़्यालों में खोए,
थक गये थे हम बहुत-
रात भर खूब सोए !

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30 APR AT 12:16

दिया है हमने तुम्हीं को ये दिल, पर-
खेल कर सिर्फ, अपनी ही जान पर !

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28 APR AT 20:42


Traffic lights regulate our movements !
Similarly our lives also receive treatments,
To make our routine journeys, normal.
Wish we don't take any risk, in breaking a signal !

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27 APR AT 6:26

थक गये थे हम बहुत-
रात भर खूब सोए !
सिलसिलेवार, कई ख्वाब जुड़ने लगे -
संग-संग हम , आकाश में उड़ने लगे !
नींद टूटी जब, फफक-फफक के रोए-
तेरे सपनों में खोए,
थक गये थे हम बहुत-
रात भर खूब सोए !

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26 APR AT 11:52

To be handled with cares !
Through your heart-
You should look at others !
This transparency-
Has to be from outer surfaces aswell,
For others to visualise the inside -
As to how do hearts break &
Experiencing sorrows, they swell !

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25 APR AT 12:04

The sun comes out from its slumber !

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25 APR AT 11:08

मिल कर इंसान कहां, फरिश्ते रहते हैं !

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24 APR AT 22:15

दुनिया छोड़ के जाते जाते-
इक अंतिम बार संग रहे हमारा !
कुछ पल जान रहेगी शायद,
मिलें अगर हम किसी जनम में -
काश फिर रहे तेरा ही सहारा !

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24 APR AT 10:54

पहलगाम !
पूछा नाम -
फिर कत्लेआम !
ये कैसा पैग़ाम?
हिल गई अवाम -
अब देखो अंजाम ....
फिर बनने ना देंगे उनका काम -
संभलके जाना अमरनाथ धाम !
कर लो अपना इंतजाम -
लेना है हमले का इंतकाम !

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