सत्य ही धर्म है सत्य ही पूजा सत्य ही शिव है सत्य ही विष्णु सत्य में ही जीवन गुजारा हैं मेरे प्रभु अब तु ही सहारा है बिगड़ी को सही बनाते भूखे की भूख मिटाते निर्धन को धन देते प्रभु तुम ही करो निवारण इस सृष्टि का करो इसके पापों का विनाश तभी होगा इस संसार में धर्म का विकास
मीरा जैसी भक्ति नहीं राधा जैसा प्रेम नहीं श्रीराम के आदर्श की बात करूं मैं क्या, 'सीता' सी पतिव्रता कोई नहीं।। ....................................... ........…............................ (अनुशीर्षक में पढ़ें)