माटी से बने पात्र और विश्वास में एक सी समानता होती है
जिसे जितना तपाया जाए वो उतनी ही मजबूत होती है-
हज़ार दिन ज़िन्दगी के.. मरने का इक क्षण
वक़्त की रेत में.. सब धूल के हैं कण,
आसमाँ सर पे उठाके कहाँ ले जायेगा बंदे
मिट्टी का मिट्टी से.. मिलने का है प्रण..!
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अपने जीवन के साथ साथ
वर्तमान की व्यथाओं के ध्यान में
सत्य को उजागर करने को ही
एक लेखक कहा जा सकता है..
मेरी नज़र में सत्य कलम कार
ही एक सच्चा लेखक होता है..।-
मोहब्बत का तो पता नहीं
पर हां जहां प्रेम होता है..
वहां आनंद आनंद में ओर
ईश्वर का ज़रूर निवास होता है।-
सत्य ही धर्म है
सत्य ही पूजा
सत्य ही शिव है
सत्य ही विष्णु
सत्य में ही जीवन गुजारा हैं
मेरे प्रभु अब तु ही सहारा है
बिगड़ी को सही बनाते
भूखे की भूख मिटाते
निर्धन को धन देते
प्रभु तुम ही करो निवारण इस सृष्टि का
करो इसके पापों का विनाश
तभी होगा इस संसार में धर्म का विकास
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जिस दिन news paper में छपेगा की आज एक भी नहीं हुआ बलात्कार !
उस दिन सफल होगा रक्षाबंधन का त्यौहार !!-
मीरा जैसी भक्ति नहीं
राधा जैसा प्रेम नहीं
श्रीराम के आदर्श की बात करूं मैं क्या,
'सीता' सी पतिव्रता कोई नहीं।।
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