❣️जय श्रीकृष्णा ❣️
"यदि प्रेम का मतलब सिर्फ पा लेना होता,
तो हर हृदय में राधा-कृष्ण का नाम नही होता"!!
🙏राधे_ राधे 🙏-
सुनती होगी लोगों को मंदिर की घंटियाँ पर
मेरे कानों में रस घोले कान्हा की बांसुरिया
श्री चरणों में ध्यान रहे वृंदावन में धाम रहे
नित उठ दर्शन पाऊँ मन में बसे मेरे सांवरिया।
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तेरे श्री युगल चरणों का दास बना ले राधे
मेरी आंखें जब भी देखे सिर्फ तुझको देखे-
हम तो इक बूंद भी नहीं तुम क्षीर सागर के वासी हो
हम तो टूक माँग कर खाने वाले तुम तीनों लोकों के स्वामी हो
हम निसदिन तुम्हारा ध्यान करें तुम ध्यान में ना आने वाले हो
तुम ध्यान में उनके आते हो जो ख़ुद में ही खो जाते हों
भक्ति भजन ऐसा करें की सुध बुध होश खो जाते हों
करो कृपा हम पर भी हरि हम नाम तुम्हारा जपते रहें
कभी भी कहीं भी हों तुम्हारा नाम जिव्हा से रटते रहें
श्वास श्वास सिमरे गोविन्द तुमको पुकार कर ही खुशी पाते रहें
आखिरी तमन्ना इतनी है आँख बंद भी करूँ तो तेरा दर्शन पाते रहें
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कर्म भटक जाता है
ज्ञान भूल जाता है
भक्ति का पथ
ही है बस
ऐसा पथ
जो चले तो
भव सिंधु
पार उतर
जाता है-
वक्त भी ठहर जाता है वृंदावन की गलियों में
बिहारी जी की अंखियाँ देखने के बाद-
राधे कृष्ण के प्रेम का दीवाना आज फिर से मुझे मिल गया है
जो जाने प्रेम की सफल परिभाषा वो जन आज मुझे मिल गया है
गोकुल बरसाना नंदगाँव गोवर्धन और वृंदावन श्री धाम
आज फिर से इन धामों को चाहने वाला मुझे मिल गया है
गोपियों के प्रेम राधा का त्याग मीरा की दीवानगी
जानने वाला पहचानने वाला मुझे आज फिर से मिल गया है
कौन कहता है प्रेम अब बचा नहीं जहान में
पवित्र प्रेम क्या है बताने वाला मुझे आज मिल गया है
"राधे कृष्णा"-
जो तुम ना होते कृष्ण तो यकीनन कोई और होता
लेकिन वो तुम जैसा सुन्दर नीलमणि मनोहर ना होता
ना ही अपनी बंसी से हमें मदहोश करता
ना ही अपनी लीलाओं से हमारा मन मोहता
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जो तुम ना होते कृष्ण तो यकीनन कोई और होता
लेकिन वो तुम जैसा माखनचोर गिरिधर ना होता
ना ही वो माखन चुराता ना ही सखाओ संग खेल खेलता
ना ही वो गैया चराता ना ही वो गोवर्धन उठाता
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जो तुम ना होते कृष्ण तो यकीनन कोई और होता
लेकिन वो तुम जैसा चित्तचोर गोपेश्वर ना होता
ना ही वो गोपिन को बुलाता ना ही कोई रास करता
राधा को पुकार कर वो कहाँ कोई महारास रचता
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जो तुम ना होते कृष्ण तो यकीनन कोई और होता
लेकिन वो तुम जैसा विश्वरूपम योगेश्वर ना होता
ना ही महाभारत युद्ध मे वो पार्थसारथी बनता
ना ही वो संसार को गीता का उपदेश देता
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जो तुम ना होते कृष्ण तो यकीनन कोई और होता
लेकिन वो तुम जैसा आनंदकंद अद्वैत ना होता
ना देवकी वसुदेव ना यशोदा नंदबाबा का साथ होता
ना ही 16108 रानियां होती ना ही सुदामा सा सखा होता
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जो तुम ना होते कृष्ण तो यकीनन कोई और होता
लेकिन वो तुम जैसा मोरमुकुट धारी मुरलीधर ना होता
ना ही बांकी अदा दिखती ना ही वो सुन्दर चितवन होता
ना ही श्री वृंदावन धाम होता ना तो वंशीवट निधिवन होता
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जो तुम ना होते कृष्ण तो कोई और कौन होता ???-
प्रेम भाव भी फीका है सबसे उत्तम गोपी भाव है
विरह में तड़पती गोपिन फिर भी ना करती आह है
ना खोने की चिंता ना पाने की चाह बस इंतजार है
श्याम तन श्याम मन श्याम ही प्राण धन अपार है
बस याद में कान्हा की सारा दिन सारी रात है
मांगें कान्हा की खुशी रहें मग्न सुबह ओ शाम है
कान्हा के सिवा जुबां पर ना आता कोई भी नाम है
ऊधौ लाए प्रेम पाती दिया अलौकिक ज्ञान है
प्रेम भाव में भरी गोपिन रही उससे अनजान है
बोली गोपिन ऊधौ हम ब्रह्म ज्ञान ते क्या लेनो
बिन श्याम के तो ये ब्रह्म ज्ञान भी बेकार है
श्याम गति श्याम मति श्याम ही पति प्राण है
आंधे की सी लाकड़ी श्याम नाम आधार है
बात करो क्या योग की ऊधौ यहाँ रोम रोम श्याम है-
मेरे शिव
काश कुछ ऐसा कमाल हो जाए
कृष्ण करें महारास लीला और आपकी तरह हम भी पुरुषत्व भाव छोड़ कर गोपी हो जाए
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