पैरों मे पायलियाँ नख में नथनियाँ
हाथों में कंगन कानो को कुंडल से सजाया
आँखे तीखी कटार सी करके काजल लगाया
घुंघराली अलकें सदाबहार सी करके केश बंधाया
माथे पर कस्तूरी तिलक गले वैजन्ती माला
टेढ़े मुकुट पर मयूर-पिच्छ शोभित कराया
चाल अजब मतवारी सी करके गोकुल का छोरा बरसाने को आया
रिझाने राधा प्यारी आज अद्भुत रूप श्रृंगार कृष्ण ने कराया
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