पैरों मे पायलियाँ नख में नथनियाँ
हाथों में कंगन कानो को कुंडल से सजाया
आँखे तीखी कटार सी करके काजल लगाया
घुंघराली अलकें सदाबहार सी करके केश बंधाया
माथे पर कस्तूरी तिलक गले वैजन्ती माला
टेढ़े मुकुट पर मयूर-पिच्छ शोभित कराया
चाल अजब मतवारी सी करके गोकुल का छोरा बरसाने को आया
रिझाने राधा प्यारी आज अद्भुत रूप श्रृंगार कृष्ण ने कराया-
वो हमें याद करते रहे, हमें वो याद आते रहे
ये सिलसिला चलता रहा याद करने कराने का
ना वो पास आए हमारे न हमें पास आने दिया
ये दूरियां यूँ ही रही जिन्दगी गुजर जाने तक-
मेरा किरदार #कृष्ण के बिना जंचेगा क्या
अगर खुद से उन्हें निकालूँ तो बचेगा क्या
!! जय श्री कृष्णा !!
राधेय्य्य राधेय्य्य-
बस आखिरी तमन्ना मेरे ठाकुर मान लेना 1
जैसा भी हूँ तेरा हूँ मुझे अपना जान लेना 2
हो जाऊँ चाहे बहरा मेरे ठाकुर सुन लेना...2
मेरे आखिरी समय मे सुना मुरली की धुन देना 1
बस आखिरी तमन्ना मेरे ठाकुर मान लेना 1
जैसा भी हूँ तेरा हूँ मुझे अपना जान लेना 2
हो जाऊँ चाहे अंधा मुझे मन की आँख देना...2
विराट रूप मैं देखूँ मेरे अन्तर्मन को वो भाव देना 1
बस आखिरी तमन्ना मेरे ठाकुर मान लेना 1
जैसा भी हूँ तेरा हूँ मुझे अपना जान लेना 2
हो जाऊँ चाहे गूंगा मेरे दिल की आवाज सुनना...2
रटता रहूँ मैं हरदम रसना से नाम तेरा 1
बस आखिरी तमन्ना मेरे ठाकुर मान लेना 1
जैसा भी हूँ तेरा हूँ मुझे अपना जान लेना 2
कट जाएँ चाहे टांगे मुझे बस इतना बल देना...2
पहुँचु घिसटते घिसटते मुझे अपना धाम देना 1
बस आखिरी तमन्ना मेरे ठाकुर मान लेना 1
जैसा भी हूँ तेरा हूँ मुझे अपना जान लेना 2
हो जाऊँ चाहे पागल तन मन धन का भान हो ना...2
कृपा करके मुझको अपनी लीला का ध्यान देना 1
बस आखिरी तमन्ना मेरे ठाकुर मान लेना 1
जैसा भी हूँ तेरा हूँ मुझे अपना जान लेना 2-
गोपाल नाम की है दीवानी, गोविन्द से अपना नाता जान लिया
मन को मोह लिया मनमोहन ने, कान्हा को सर्वस्व मान लिया
मुरलीधर की मुरली की तान को अपनी जान से जोड़ लिया
श्वाँस श्वाँस श्याम नाम की चादर से अपने आप को ओढ़ लिया
रोम रोम में दामोदर, रगों में रणछोड़ रूपी रक्त छोड़ दिया
अपनी सभी राहों को छलिया की तरफ ही मोड़ दिया
आँखो में जब से युगल सरकार की सुंदर छवि को बसा लिया
आनंद कंद का सानिध्य पाकर स्वयं का जीवन रसमय बना लिया
माधव रंग में रंग कर ख़ुद को, जीवन रंगमय बना लिया
लिखा कृष्ण, जपा कृष्ण और कृष्ण नाम ही गा लिया
जिव्हा और क़लम को दे आदेश, नाम रटन चला लिया
मुकुंद नाम में उलझा कर ख़ुद को, नाम ही खुशबू करा लिया-
राधे कृष्ण के प्रेम का दीवाना आज फिर से मुझे मिल गया है
जो जाने प्रेम की सफल परिभाषा वो जन आज मुझे मिल गया है
गोकुल बरसाना नंदगाँव गोवर्धन और वृंदावन श्री धाम
आज फिर से इन धामों को चाहने वाला मुझे मिल गया है
गोपियों के प्रेम राधा का त्याग मीरा की दीवानगी
जानने वाला पहचानने वाला मुझे आज फिर से मिल गया है
कौन कहता है प्रेम अब बचा नहीं जहान में
पवित्र प्रेम क्या है बताने वाला मुझे आज मिल गया है
"राधे कृष्णा"-
उनकी हर अदा दिल लुभाती है
भक्तों की भारी भीड़ इसी अदा को देखने जाती है
तुम क्यों नाहक ही परेशान होते हो ठाकुर के दर्शन को उनके धाम की रज भी तो उन्ही का स्वरुप दिखाती है जिनकी हर अदा निराली है
जिनकी कान्ति श्याम वर्ण उजाली है
जिनको देखने मात्र से ही कोई अपनी सुध बुध खो जाए
ऐसी मनमोहिनी सूरत मेरे नटवर सुन्दरश्याम माखनचोर की आली है-
वो कान्हा मुरली वाला मुरली की धुन सुना रहा है
वो मनमोहन मन मोहने वाला माखन चुरा रहा है
वो सृष्टि का रचनाकार देखो बाल लीला कर रहा है
वो गिरिधर गोपाला देखो गोवर्धन पर्वत उठा रहा है
वो जिसकी भृकुटी से काल कांपे कंस को मार रहा है
वो मायाधारी नित नवीन लीलाधारी गीता का ज्ञान दे रहा है
वो सुदर्शन चक्रधारी बिना चक्र उठाए महाभारत करा रहा है
वो योगेश्वर उद्धव जैसे ब्रह्मज्ञानी को प्रेम की शिक्षा गोपियों से दिला रहा है
वो स्वयं प्रेम तत्व राधा से प्रेम की भिक्षा मांग रहा है
वो गौलोक निवासी आज भी श्री वृंदावन धाम मे वास कर रहा है-