हर दिन गुज़रा है हर दिन सा
कौन मरा किस के जाने से..-
ज़माना आजकल मुझ पर, बहुत हँसने लगा है जो,
उन्हें है क्या पता मैंने, सितम कितने उठाये हैं।-
हाथ चलते हो तब तक कमाना चाहिए,
यूंही नहीं सामने किसी के फैलाना चाहिए।
दरवाज़ा चाहे खुला हो अजनबी घर का,
औरत हो अकेली तो खटखटाना चाहिए।
मरहम और नमक दोनों मिलते हैं शहर में,
जख्म अपना सोच समझ के दिखाना चाहिए।
बेटी को पहना देते हो संस्कारों के गहने,
मशविरा है कि बेटे को भी समझाना चाहिए।
भूल शामिल है आदमियत की हस्ती में हमेशा,
हर गलती को कभी न कभी भूल जाना चाहिए।
देखने हो गर अपनेपन के दिखावटी प्रिज्म,
रिश्तेदारों को गम अपना बताना चाहिए ।
शौक रखो अगर जेब इजाजत दे तुम्हारी,
पहले जिस्म पूरा चद्दर के अंदर समाना चाहिए।
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देर तक देखी थी हमने बे-ख़याली पेड़ की
रफ़्ता रफ़्ता गिर पड़ी हर एक डाली पेड़ की
देखने को रोज़ पतझड़ इन्तेहाई देख ले
देख पायेंगे नहीं हम पाएमाली पेड़ की
सर्द रातें हैं क़यामत और चलती ये हवा
सो गए सारे परिंदे रात काली पेड़ की
पेड़ के नीचे शिक़ायत कर रहा वो शख़्स फिर
ध्यान से सुनने लगा बातें निराली पेड़ की
देख कर बारिश पुरानी पेड़ ख़ुश था इसलिए
खींच ली तस्वीर हमने आज ख़ाली पेड़ की
फिर थकन को ओढ़ गहरी नींद में हम सो गए
रास्ते में देर तक तो छाँव टाली पेड़ की
सब्ज़ होने के लिए हम ख़ुश्क हैं पहले पहल
हाय! ये तरक़ीब हमने आज़माली पेड़ की-
शेर की गैर मौजूदगी में,
उसकी मांद के आगे भौकने से,
कुत्ता शेर नहीं बन जाता।-
शहर जाकर बस गया हर शख़्स पैसे के लिए
ख़्वाहिशों ने मेरा पूरा गाँव ख़ाली कर दिया।।-
हर मुहल्ले ढूँढता है एक घर वो डाकिया
था पते में, घर पड़ेगा इक शजर के सामने
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मैं उनको फिर से लगा आया उनकी टहनी पर
अजीब फूल थे मुरझाने में लगे हुए थे
میں ان کو پھر سے لگا آیا ان کی ٹہنی پر
عجیب پھول تھے مرجھانے میں لگے ہوئے تھے
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