लौट आया हूं शायरो की बस्ती में
अब कहो दिल का दर्द सुनाऊं
या तेरी यादों की खुशबु फैलाऊ-
शायरों से ताल्लुक रखो..तबियत ठीक रहेगी,
ये वो हकीम.. हैं जो अल्फाज़ो से ईलाज करते है ..!!-
जब रखा शायरों की बस्ती में कदम,
तो जाना गमों की महफ़िल भी,,
कितने ख़ुशी से जमती है...-
बेशुमार अशआर और मतले होते हैं
हम शायरों के एक अलग ही मसले होते हैं-
ये अल्फ़ाज़ शायरों के
कई राज़ लिए बैठे है.........✍️✍️
कुछ सुखद अहसास
तो कुछ जज़्बात लिए बैठे है......✍️✍️
ये अल अंज़ शायरों के
अज़ल अज़ीम अज़ब अज़ाब लिए बैठे है......✍️✍️
ये कंदा शायरों के
काजी कज़ा कद कानून लिए बैठे है....✍️✍️
अल= कला; अंज= विनती;
अजल= अनन्तकाल; अज़ीम= महान ;
अज़ाब= पीड़ा, सन्ताप ।
कंदा =गढ़ा हुआ, नक्काशीदार ;
कजा = भाग्य ; कद = उचाई ।-
ए -चाँद तुझे शायद ये मालूम नही
जमीं के आशिक तुझे कितना चाहते है
दिलवर का दीदार भी तुझमें पाते हैं
तुझें तोड़ लाने की कसमें भी खाते हैं
चाँदनी से महबूबा का आँचल सज़ाते हैं
ज़माने से दूर तुझपे दुनिया बसाते हैं
रात ख्वाबों में एकदूजे से मिलने आते हैं
चाँद क्यों हैं गुरुर तुझें इतना खुदपर
शुक्र मना हम शायरों का करम है तुझपर
🌹 माधवी श्रीवास्तव 🌹
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काश कोई खरीददार इन लफ़्ज़ों का भी मिले,
शायरो की बस्ती में हमें भी कोई नाम मिले।-
हर लफ्ज़ में ज़िक्र तेरा, हर लम्हा फ़िक्र तेरा,
गर छोड़ दूंगा साथ तुम्हारा,
तो कैसे महकेगें अल्फ़ाज़ मेरे और चेहरा तेरा,
छोड़ने की बात करके,यूं मेरे अल्फ़ाज़ों को लावारिस ना कर।-
काटों भरी राह मंजूर है हमें बस कोई फूल होने का दिखावा ना करे......
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हैरत नहीं हुई जरा भी
तुम्हारे दूर जाने की ..........
तुम्हारा बताकर जाना
आज भी इस दिल को बड़ा रास आता है!-