Bathvar veer   (वीर)
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Joined 10 February 2019


Joined 10 February 2019
8 AUG 2021 AT 11:23

जख्मो की गिनती कहा रखते थे हम
ये तो वो घाव है जो की भरते है नहीं।

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5 AUG 2021 AT 20:28

हां लिखी तो गई थी किस्मत
हमारी भी सुनहरी स्याही से,
किसी और से क्या शिकवा,
जब मिटानी हमने चाही हो।

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23 JUL 2021 AT 20:24

गुजार लेते है रात
इस आस के साथ,
कल होगी सुबह,
फिर उसके साथ।

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12 JUL 2021 AT 10:10

किनारे की चाहत
हमें बहुत दूर तक ले आई,
तैर कर थक गए,
डूब गए, लहेरे तैर ले आई

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10 JUL 2021 AT 15:11

हक तो था उन पर हमारा
पर पता नहीं कैसे खो बैठे,
इश्क तो आज भी है उनसे
पर पता नहीं वो हमें
या हम उसे खो बैठे।

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26 MAY 2021 AT 14:53

भीगने को हरदम तैयार रेहते
पर अब ऐसी बारिश कहा
फूल तो आज भी खिलते रेहते
पर प्यार के फूल खिले
अब ऐसी बारिश कहा

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24 MAY 2021 AT 9:48

हां शायद चैन से सोते होंगे वो रातो में,
हमारा,हमारा क्या रोते रहते है रातो में।

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21 MAY 2021 AT 20:50

रोने से क्या होता है
कोई तो बता दो मुझे,
जिस ने भी खोया हो
कोई करीबी अपना,
खोंने से क्या होता है
कोई तो बता दो मुझे।

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18 MAY 2021 AT 16:58

किनारे से पूछता हूं,
शायद उसे पता होगा,
केसा लगता है जब
ठोकरे हररोज लगती है।

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11 MAY 2021 AT 19:42

गुमराह करने आई थी, यादे उसकी
हम हो गये और क्या, वो चली गई।

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