ये सफ़र शरारतों की मिठास लिए,
अलग सा खूबसूरत एहसास लिए,
न पा लेने की खुशी भीतर
न खो देने का डर
बस एक आस्था, एक कभी न टूटने वाला विश्वास लिए
ये सफ़र, तुम सँग ऐ हमसफर
फूलों के रास्ते, हरी नर्म घांस पर चलता रहे
कि सुबह की पहली धूप होती रहे रौशन तुम्हीं से
दिन ढलें शामें जगमागाएं तुम्हारी शिकायतों
तुम्हारे सुकून की लंबी फेहरिस्त लिए
हम थक कर चांद में सो जाएं,
कभी नर्म सी कभी सख़्त,
समझदारी, नासमझी
रुठना, मनाना सब,
सब रँग हैं गहरे इन रंगों में
इन्हीं रंगों का, रहूं उम्र भर
है ख़्वाहिश, इतनी सी..
कहा नहीं है कभी शायद तुमसे,
इस दिल में बसी मुहब्बत इतनी सी...-
Funny how we volunteer, for some prisons blindly........🥺
Birthdate:- 18/07/199... read more
This new moon night ,
Which hold many twinkling lights,
But if you spell someone,
Whole universe make you feel delight .....-
ये सूखे पत्ते
अनेक तजुर्बों को साथ लिए बैठे है,
बस एक फूख दो इनको,
देखो कितने उदास बैठे है ।-
मैं खुशबू हूं जज्बातों का ,
जितने करीब आओगे उतने अपने होते जायेंगे ........-
अपनी बातें भी अगर अखबार से कहोगे तो नास्ते के बाद बेकार ही समझी जाएंगी
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अपनी ये उलुल जुलूल बातें भी जज्बाती हो कर कहोगे तो बेशक सुनने जरूर आयेंगे,
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अपना परिचय भूल गए तुम,
तभी आज खत में अपना पता लिख दिखा था तुमने ...........-
लोग प्रतिमा देख प्रतिभा का आकलन कर रहे थे,
मुझे तो अखबर बीरबल वाले उस साहूकार की मूर्ति याद थी...
बस मौन साधे एक तरफ खड़ा था........-
गरिमा भी थी शब्दों में उसके,
प्रतिभा मात्र होती तो , हम
गवाही दे देते की सुना था किसी रोज अपनी बदहवासी में .......-
नयनों से नयन मिला के देखो,
कोई अनूठा हसीन ख़्वाब देखो,
देखो जी चांद देखो
ओ रे कन्हैया हसीन ख़्वाब देखो।
राधे से नैना मिला के देखो,
यमुना तट बंशी बजा के देखो,
मोर मुकुट लगा के देखो,
ओ रै कन्हैया हसीन ख़्वाब देखो ।
हांडी पे डंडी बजा के देखो,
मिश्री माखन खा के देखो,
सुदामा के सत्तू भी खा के देखो,
ओ रै कन्हैया हसीन ख़्वाब देखो ।
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