मन मे दबी कुछ बातें गर बताऊँ तुझे मैं,
हम भीग रहे हों बारिश में,,
फिर तेरी जुल्फों को सहलाउँ मैं,
फिर धीरे धीरे तेरे होंठो से अपने होंठ मिलाउँ मैं,,
कुछ इस कदर मन की दबी कसक मिटाऊं मैं...-
वो मोहब्बत नहीं थी तो क्या था,
उस ने चाय को लबों से छूकर कुछ तो मिलाया था...-
हिम्मत वाली प्रेमिकाएं ......पत्नी बन जाती हैं,
बाक़ी सब कवितायें बन जाती हैं....
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इन अतीत के पन्नों में बहुत कुछ खास है,
जिक्र है जिस पन्ने पर तेरा वो तो बेहद खास है,,
इन यादों में खट्टी मीठी बातो को कर याद आंसू बहते रहते हैं,
उन एहसासों की याद में ए सनम हम भी जलते रहते हैं....
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लौट आए हम शायरों की बस्ती में,
माना वक़्त के साथ स्याही फीकी पड़ सकती है,,
मगर कलम के जज्बात नहीं.....-
तुझे चाहूं अब हद से ज्यादा,
तो खुद के लिए बुरा लगता है,,
तुम घोलती थी अपनी बातों में शक्कर अक्सर,
मैं था नासमझ जो भूल गया कि,,
हद से ज्यादा मीठा खुद जीभ को बुरा लगता है...-
ये जो भीड़ है वो तन्हाइयों का मेला है,
लगते तो है साथ है मगर हर आदमी आदमी अकेला है ।।-
मैं नही भूल पाया मगर चाहत है ऐसी कि तू मुझे भूल जाये,
तेरे आंसू हटकर सब मेरे हिस्से में आ जाये,,
तन्हा,रुस्वा है हम भी .....
काश तू मेरी मजबूरी समझ पाए,
ढूंढ़ते नही हम उसको जो इन आँखों से जहन में उतर जाए,,
बुला ले खुदा मुझे तुझसे पहले........2
गर कभी तेरे अलविदा का दिन आए !!-
इस जग में जितने जुल्म नहीं उतने सहने की ताकत है तानों के शोर में रहकर भी सच कहने की आदत है।
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