अब लौट भी आओ किसी बहाने से
दिल टूट गया हे तुम्हारे रुठ जाने से-
राही हू अकेला
पर मंजिल मेरी धुर है
शायर कहती दुनिया
इसमे मेरा क्या कसूर है
महसूस न होने देता
पर मैं अन्दर सै तो रोता हू
मेरी कलम ही जाने दर्द मेरा
चाहे गालिब सै मैं छोटा हु
चाहे गालिब सै मैं छोटा हू-
चाह मेरी उम्र से परे है
हर मर्तबा तुझे पाने के
सजदे करते रहेंगे-
ये साथ हमेशा रहता हैं,
ये साथ हमेशा रहता हैं,
अगर कोई कभी साथ देने
वाला हो।-
वजह जरूरी नहीं,
वजह जरूरी नहीं,
किसी को हासिल करने के लिए
मन मैं हिकमत हो तो वो चीज़
जरूर मिलती हैं आप को।
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तेरे लिखने में असर नहीं ग़ालिब,
मेरे पढ़ने में है, वरना लॉयल्टी
इतने बरसो तक नहीं मिलती !-
उनकी मिसाल-ए-खूबसूरती को बयान-ए-लब्ज़ कैसे करुं....
जिनके दीदार-ए-हुस्न को ये चांद भी चुपके से आये.....-
मोहब्बत के इस जमाने में भी
हम कितना दर्द छुपा के बैठे है ।
ख्वाहिश थी बने उसके बच्चे के पापा
अब उनके मामा बन के बैठे है ।-
रोज़ रात गुज़र जाती है,
तेरे ही ख़यालों में...
हर रोज़ मेरी आँखें,
मुझसे ही बेवफ़ाई करती हैं ।-
मिज़ाज हमारा तो
गर्म है हरदम,
पता नही,
फ़िर भी, आप को,
कैसे पसंद आ गए हम,-