कल जब मै कहीं खो जाऊँ
तो मेरी खोज मे प्रिय तुम
तब तक दहलीज मत लांघना
जब तुम खोज ना लो मेरी पायलों को
उनके टूटे हुए नुपुरों को
उन नुपुरों के खोए हुए संगीत को ।
मेरी टूटी चूडियों को
उन चूडियों के हर उस खनकते गीत को
जिसमें बस तुम्हारा ही नाम था ।
मेरी रूठी हुई बिंदिया की चमक को
जिसके प्रत्येक सूक्ष्म दर्पण में
बस एक तेरा ही दीदार था ।
मेरी शिरोधरा मे पड़ी रहने वाली
मोतियों की माला के हर बिखरे मनके को
जिसने तुम्हारे नाम का हर घड़ी जप किया।
यदि प्रिय तुम इनमें से कुछ भी न ढूँढ पाए,
तब दो मिनट का मौन धारण करना
मेरी यादों की अस्थियों को
अपनी ग्लानि के कलश में भर
गंगा विसर्जित कर देना।
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