कुछ इच्छाएं, कुछ मनन,
दिल की पुकार,दिल से आती है,
शायद तब कविता बनती है,
कुछ घटनाओं का प्रभाव,
कुछ कमी, कुछ चिंतन
झपकी लेते कर्णधार,
सरकारें जब सोती हैं,
शायद तब कविता होती है,
खुशी हो या गम मिले,
डर सताये या घृणा हो,
शहीदों को देश मिले,
ममता में डूबकर जब मां रोती है,
शायद तब कविता होती है.
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