हो उदासी सब तरफ तब क्लान्त मन में
थोड़ी-सी उम्मीद की भी कुछ जगह रखना !
मेघ-सी जब घिर रही हो सांझ मन में,
हृदय में तब थोड़ी-सी उजली सुबह रखना !
किसने देखा है किनारा बीच जल में ?
किसका ना टूटा कभी विश्वास छल में?
कौन है,नैराश्य जिसने नहीं देखा?
है बदल सकती नियति भी,किन्तु,पल में !
मान लेना हार तो आसान ही है
जीतने की एक तो फ़िर भी वजह रखना !
हो उदासी सब तरफ तब क्लान्त मन में
थोड़ी-सी उम्मीद की भी कुछ जगह रखना !
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original writings !
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क... read more
टूटने की त्रासदी
महज़ टूटने तक नहीं होती,
टूटने के बाद पुनः ना जुड़ पाने की पीड़ा
टूट जाने के बाद उपजी रिक्तता से
कहीं ज़्यादा होती है...
यह जान पाना दुष्कर है
कि कितना गहरा होता है
किसी टूटे हुए पुष्प का दुख !
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सफ़र कितना भी हो लम्बा मग़र सफ़र ही तो है
दिखाई दूर तक देती है पर डगर ही तो है
फ़कत मंज़िल के लिए राहें कितना भटकी हैं
भटक जाना भी रास्तों का हुनर ही तो है
कौन कहता है क्या, इस बात पर क्यों गौर करें
है बातों से बहुत ही खोखला, शहर ही तो है
दिखा देती है आईना बहुत ख़ामोशी से
बड़ी सादी सी दिखती है, कोई गज़ल ही तो है
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'शायद'
महज़
एक लफ़्ज नहीं.....
'शायद'
नाउम्मीदी की
थाली में बचा
उम्मीद की रोटी का
एक
टुकड़ा है !
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किसी निर्झर की फुहारों से छनकर बहते पानी-सा हो मन तो कैसा हो ? अपनी ही लय में गतिशील जल पर फेंका गया पत्थर या तो डूब जाता है या उसकी ही धारा के साथ बहते हुए सरलता से चमक उठता है लेकिन वह कभी पानी की सम्पूर्णता पर,उसकी गतिशीलता पर अपना प्रभाव नहीं डाल पाता.....
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काश ! -
किसी क्षितिज के पार कहीं से
झरनों के बहते से स्वर में
काश ! सुनाई देती वो धुन
जो दुनिया की धूप में घुलकर
बारिश की रुनझुन बन जाती
बारिश, जिससे फ़िर से उगती
धरती पर कितनी हरियाली !
किसी हरे, नन्हे पौधे से
या घासों की किसी कोर से
काश ! पनपती कोई कलिका
जो पतझड़ की धूल में खिलकर
फूलों का मौसम ले आती
फूल वही, जिनसे दुनिया
बन जाती असली रंगों वाली !-
चाँद , लगता है जैसे
कोई दिया उजला-सा,
रात हाथों में लिये बुनती है
नयी-सी राह
चमकती सुबह की !-
See the stunning stars
But never pluck them
Or else
Moon will be alone !!!!!-