खुदको खुद से खफ़ा लिख रही हूँ
हाँ बेवफ़ा मैं वफ़ा तेरे नाम लिख रही हूँ-
ये दूरी सताती है पर अफसोस नही,
दिल है नादान मेरा,बेईमान नही।
तुझे पाने की ज़िद मैं कैसे कर लूं,
ये इश्क़ है इश्क़,व्यपार नही।
निभा लूंगा मैं इन दूरियों में भी मोहब्बत,
मैं पागल बस तेरे लिए,वफ़ा का गद्दार नही।-
रास्ते की भीख न मांगो,
अपना रास्ता खुद बनाओ।
दो कदम भी साथ क्या चलना,
अपने पैरों को मजबूत बनाओ।
इश्क़ की इबादत कर ली बहुत,
समझनेवाला मिला हो,तो बताओ।
नादान हो अब समझदार बन जाओ,
बढ़ाओ कदम मंज़िल अपने की ओर
और एक नया वजूद बनाओ।
वास्ता हुआ उन्हें गर तेरे इश्क़ से कभी,
मानो न मानो वो टूटकर बिखर जाएगी।
समझ ना आए कभी ये मोहब्बत उन्हें,
बस जाते-जाते खुदा से ये खैर मनाओ।-
किसका प्यार कम हुआ,
आज फिर इस बात पर जंग हुआ।
अश्क़ बनकर बहते रहें मेरी वफ़ा उनके लिए,
फिर कैसे उनकी नज़र में मेरा प्यार कम हुआ!-
जाते जाते भी अपना हुनर दिखा गई
खुद को सही,मुझे गलत साबित कर गई
मैंने भी मुस्कुरा कर सारे गुनाह कबूल कर लिए,
वो वफ़ा की मूरत,मुझे बेवफ़ा साबित कर गई-
आसान नहीं है उन बे-इरादा हुए वादों को सोचना ...
हर एक वादा अलग से जान लेता हैं जनाब....😢-
देखा जब मुहब्बत का कब्रिस्तान पहली दफ़ा,
लगा युँ कि हर कब्र में वफ़ा दफ़न हो जैसे...-
धूप में
कुछ तन्हा..पेड़ों को देखा..
🍁
जल रहे थे..वफ़ा निभाने वालों के जैसे..
कल रात भर सफर रहा दिल्ली का ,😊-
वादा करो कि कभी एक साथ नहीं रूठना
मैं रूठ जाऊ, तो फिर तुम ना रूठना,
इश्क़ में आएंगे तूफान हिज्र के
नाजुक पलों में साथ ना छोड़ना
तन्हाईयाँ घेर लेती है,पाकर अकेला मुझे
मुझे एक पल भी तुम अकेला ना छोड़ना
डालेगें बेड़ियां मजहब की ये दुनिया वाले
हम परिंदे इश्क़ के,हमे क़बीला ना देखना
वफ़ा रही प्यार में तो शहर-ए-इश्क़ मिल जाएगा
तसर्रूफ़ात की दुनिया से हमे पता ना पूछना
मोहब्बत दिल मे रहे, दिमाग़ को पागल ना करे
लेकर कच्चा घड़ा,पानी में ना कूदना
टूट जाऊँगा कांच सा,साथ जो छोड़ दिया
इश्क़ के मारो में "मुनीश"का नाम ना जोड़ना-
तक़दीर ये वक्त का जुदा क्यों है...
जब तलख मोहब्बत गजब की है,,
और आंसुओ में नाम तेरी वफ़ा का है😮-